रांची। झारखंड हाइकोर्ट ने गुरुवार को झालसा के द्वारा दायर रिपोर्ट के आधार पर राज्य में भूख से हुई मौत के एक मामले की सुनवाई की।
चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की बेंच ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में शहरी इलाकों से दूर रहनेवाले लोगों का जीवन आज भी दूभर है।
कोर्ट ने राज्य सरकार पर कड़ी टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि यहां के लोगों को जंगली की तरह ट्रीट किया जाता है। जबकि उनकी ही जंगल से हम खनिज पदार्थ निकालते हैं। लेकिन उनका विकास नहीं हो पा रहा है।
अदालत ने इस बात का भी जिक्र किया कि गांव में विकास नहीं पहुंचना ही नक्सलवाद को बढ़ावा देता है। आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां पर राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
ऐसे में यह राज्य सरकार के लिए सोचनीय विषय है कि योजनाएं धरातल पर पहुंचे। अभी भी कई गांव के लोग लकड़ी बेचकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। यह शर्म की बात है।
इसके बाद अदालत ने सामाजिक कल्याण विभाग के सचिव को अगली सुनवाई के दौरान पेश होने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि क्या राज्य सरकार गांव में चिकित्सा सुविधा, स्कूल, शुद्ध पीने का पानी, रसोई गैस जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं उपलब्ध करा सकती है।
अदालत ने कहा कि इसके लिए जिम्मेवार अधिकारी कहां है और क्या कर रहे है। सीओ, बीडीओ क्या कर रहे हैं। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो सप्ताह बाद तय की है।