औरंगाबाद जिले के महिला थानाध्यक्ष के कारनामों की चर्चा पूरे जिले में जोरों पर है। इस मामले की संज्ञान वरीय पुलिस पदाधिकारियो को भी हुई लेकिन कारवाई जिस पर होनी चाहिये उस पर कारवाई नहीं हुई।
औरंगाबाद जिले के महिला थानाध्यक्ष ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो शायद बिहार के किसी महिला थानाध्यक्ष ने नहीं किया होगा? और यह बात पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है।
राज्य के किसी भी महिला थाना में जब किसी तरह की कारवाई की बात की जाती है, तो अमूमन पति-पत्नी के साथ मारपीट ,दहेज उत्पीड़न ,लड़की के साथ छेड़खानी, किसी लड़की/महिला के साथ बलात्कार, इसके अलावे विधवा महिला के साथ उसके ससुराल पक्ष के लोंगों से प्रताड़ित करना आदि है।
विधवा से संबंधित मामलों में अगर जमीन विवाद रहा तो वेसे मामले में भी महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज नहीं होगी ना ही जांच में आवेदन लिया जाएगा।
ऐसे मामलों में संबंधित थाना में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, यानि महिला थाना सिर्फ और सिर्फ महिलाओं के साथ हो रहें उत्पीड़न में मामला दर्ज कर सकती है या जांचों उपरांत कारवाई कर सकती है।
पुरुषों से संबंधित कोई भी मामला महिला थानाध्यक्ष को ना ही देखना है और ना ही जांच करना है। पुरुषों से संबंधित जांच में कोई भी मामला थानाध्यक्ष नहीं रख सकती है लेकिन औरंगाबाद महिला के थानाध्यक्ष कुमकुम कुमारी ने एक पुरुष से आवेदन लेकर उसे जांच में रख लिया।
साथ ही आरोपी को करीब 28 घंटा अपने सिरिस्ता में रखा। महिला थानाध्यक्ष द्वारा की गई कारवाई न्याय संगत नहीं है इस कारण यह कारवाई पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया। चर्चा तो यह भी है कि 17 हजार रुपये घुस लेकर बाद में उसे छोड़ दिया है।
यह आरोप उनपर औरंगाबाद जिले के नगर थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 3 के निवासी मदरसा रोड के रहने वाले मकबूल आलम के पुत्र मुन्ना आलम ने लगाया है। जिसके सभी प्रमाण है।
यह मामला एक महीना पुराना यानि 6 अप्रेल 2023 का है। मो आबिद के पुत्र बबलू मिस्त्री ने महिला थाना अध्यक्ष को आवेदन देकर कहा कि वह मोटरसाइकिल का पुराना पार्ट पुर्जा खरीदकर जमा करता है।
उसने आवेदन में आरोप लगाया है कि उसका रिश्तेदार 7मार्च 23को 15बोरा जमा किया मोटरसाइकिल का पुराना पार्ट पुर्जा उसके ही रिश्तेदार मुन्ना आलम ने चुड़ा लिया है। चोरी की घटना की तिथि थाना में दिये आवेदन में आवेदनकर्ता ने सात मार्च को दर्शाया है वहीं महिला थानाध्यक्ष ने एक महीने बाद यानि 6 अप्रेल को उस आवेदन को सीन करते हुये जांच में एसआइ संगीता कुमारी को दें दिया ।लेकिन एसआइ संगीता ने वह आवेदन पर कारवाई करने से इंकार कर दी थी।
इस आरोप को लेकर महिला थाना की पुलिस में 15मई 2023के करीब रात के आठ बजे मुन्ना को हिरासत में लिया और 16मई को रात के एक बजे पूछताछ के बाद छोड़ दिया। इस 28 घंटे के बीच में मुन्ना आलम की तबियत खराब हुई। उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया इसके बाद पैसों की डील हुई और 17हजार रुपये घुस लेकर महिला थाना से छोड़ दिया।
इस पूरे प्रकरण की सच्चाई थाना के स्टेशन डायरी को देखने से पता चल जाएगा । मुन्ना की तबियत बिगड़ने पर जब इलाज के लिये महिला थाना की पुलिस सदर अस्पताल ले गई थी। अस्पताल से इलाज कराकर उसे फिर महिला थाना लाया गया जहां सिपाही विभा कुमारी के देख रेख में रखा गया।
अब सवाल उठता है कि जब महिला थाना में किसी भी पुरुष का आवेदन नहीं लिया जाना है तो ऐसी कौन सी परिस्थिति हुई कि पुरुष का आवेदन लिया गया ?आरोपी को भी हिरासत में लिया गया।
यही नहीं करीब 28 घंटे तक उसे हाजत में बंद किया गया ?अगर महिला थानाध्यक्ष ने भूलवश कारवाई कर भी दी तो क्यू नहीं संबंधित थाना के सुपुर्द किया गया ताकि प्राथमिकी दर्ज कर मुन्ना को जेल भेज दिया जा सकता था?
महिला थानाध्यक्ष के इस हरकत से पूरे जिले में यह चर्चा का विषय है। इधर मुन्ना ने पुलिस के डर से मोबाईल बंद कर लिया है। मुन्ना का कहना है कि यह झूठा आरोप उसपर लगाकर फंसाया गया है। मुन्ना के परिजन बताते है कि अगर इस तरह का कोई मामला रहता तो सात मार्च को ही मुन्ना पर प्राथमिकी दर्ज हो जाती? पर ऐसा नहीं हुआ।
इस बाबत औरंगाबाद जिले के महिला थानाध्यक्ष कुमकुम से पूछने का प्रयास किया तो उन्होंने इसका जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। महिला थानाध्यक्ष जवाब भी कैसे देती, उन्होंने सरकार द्वारा बनाए गये नियम को भी दरकिनार करतें हुये अनुशासनिक व्यवस्था को तार तार कर दी।
इधर औरंगाबाद के एसपी सपना जी मेश्राम के सरकारी नंबर के व्हाट्स ऐप नंबर 9431822974 पर इस बाबत पूछा गया तो फिलहाल कोई उत्तर नहीं दिया है।
इधर इस मामले में सूत्रों का कहना है कि नियमाकुल कारवाई महिला थाना अध्यक्ष पर होनी चाहिये था लेकिन एसपी ने कारवाई एसआइ संगीता पर कर दी है।
ऐसे में एक सवाल उठता है कि महिला थानाध्यक्ष ने कैसे बबलू मिस्त्री का आवेदन ले ली?यह आवेदन तो उन्हें लेना ही नहीं था। फिर कारवाई किसपर होना चाहिये ?जाहिर सी बात है महिला थानाध्यक्ष पर। पूरे बिहार में औरंगाबाद की महिला थाना ही एक ऐसा थाना है जहां पुरुषों का आवेदन लिया गया है।