back to top
25 अप्रैल, 2024
spot_img

DeshajTimes.Com Analysis : कोलकाता का बदलापुर…

spot_img
spot_img
spot_img

Amitaabh Srivastava।Former Executive editor at TV TODAY।Delhi । कोलकाता का बलात्कार कांड अभी सुर्खियों में बना ही हुआ है, उधर महाराष्ट्र के ठाणे के बदलापुर में एक स्कूल में दो मासूम बच्चियों के साथ स्कूल के एक सफ़ाईकर्मी के यौन अपराध की घटना से शहर में उबाल है। नाराज़ स्थानीय लोगों ने सड़क पर उतर कर प्रदर्शन किया और रेलवे स्टेशन की पटरियों पर धरना दिया। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठी चार्ज किया मगर लोग वहां से हटने को तैयार नहीं हैं।

अब आतंकियों की बची-कुची जमीन को भी मिट्टी में मिलाने का समय आ गया है… — PM MODI in Madhubani

 

सत्ता में रहते हुए क्या करती है, यह भी देखना होगा

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना (शिंदे गुट)-एनसीपी (अजित पवार गुट) की महायुति की सरकार है। राज्य में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं और महायुति की स्थिति पहले से ही कमजोर बताई जा रही है। ऐसे में बदलापुर जैसी घटना बीजेपी की मुश्किलें बढा सकती है।
कोलकाता की वारदात के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का इस्तीफ़ा मांग रही बीजेपी महाराष्ट्र में सत्ता में रहते हुए क्या करती है, यह भी देखना होगा। पहले भी कह चुका हूं, यह किसी एक राज्य की समस्या नहीं है। महिलाओं, बच्चियों, युवतियों के साथ बढ़ते यौन अपराध सिर्फ कड़े क़ानूनों से नहीं रोके जा सकते। देशव्यापी सामाजिक आंदोलन चाहिए जो लगातार जारी रहे।

राजीव गांधी जीवित होते तो आज 80 साल के हो गये होते

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जीवित होते तो आज 80 साल के हो गये होते। बेहद सुदर्शन और आकर्षक शख्सियत वाले राजीव गांधी अपनी मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 40 साल की उम्र में भारत के सातवें प्रधानमंत्री बने थे। राजीव गांधी की तमाम नीतियों से असहमतियों के बावजूद उनकी भद्र, शालीन, शिष्ट छवि और सज्जनता के बारे में कोई दो राय नहीं हो सकती। राजीव गांधी जिस दौर में राजनीति में आए थे, राजनीतिक दलों में प्रतिद्वंद्विता होती थी, आज जैसी दुश्मनी नहीं। आतंकवादी हिंसा के हाथों उनके क्रूर अंत को याद करके बहुत दुख होता है।

राजनीतिक दलों और मीडिया के लिए पर्याप्त सनसनी

भारत में बलात्कार की कई वारदातें रोज़ होती हैं। समाज का ध्यान सिर्फ किसी ऐसी घटना पर ही जाता है जिसमें राजनीतिक दलों और मीडिया के लिए पर्याप्त सनसनी और सियासत का मसाला भी रहता है। यही समस्या है।

शुरुआत परिवार से होनी चाहिए।

सिर्फ कोलकाता बलात्कार कांड पर मध्यवर्गीय आक्रोश से बलात्कार के मुद्दे पर सामाजिक जागृति नहीं आएगी, कड़े क़ानूनों से भी न हालात बदलेंगे, न बलात्कार रुकेंगे जैसे दिल्ली के निर्भया कांड में बलात्कारियों को फांसी की सज़ा मिलने के बाद भी कुछ नहीं बदला। महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराध और हिंसा का मसला एक बड़ी और लगातार लड़ी जाने वाली लड़ाई है जिसमें शुरुआत परिवार से होनी चाहिए।

और,अंत में…।

अंत में, जैसा कि आप देशज टाइम्स की तस्वीर में देख सकते हैं। मलयालम सिनेमा के दो चेहरे। एक तरफ #Attam जैसी श्रेष्ठ, पुरस्कृत, गंभीर फिल्मों की लंबी श्रृंखला, दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर महिला कलाकारों के यौन शोषण की घिनौनी तस्वीर।

--Advertisement--

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें