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21 जून, 2024
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मुश्किल में पड़े बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री BJP नेता शाहनवाज हुसैन, High Court का सुप्रीम फरमान, रेप केस में Shahnawaz Hussain पर होगा FIR

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बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन अपने खिलाफ रेप के मामले में एफआईआर दर्ज करने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल जल्द सुनवाई से इनकार किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले हफ्ते सुनवाई करेंगे।

दिल्ली हाईकोर्ट ने शाहनवाज हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने दिल्ली पुलिस को तीन महीने में जांच कर ट्रायल कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने से साफ है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने तक पुलिस की अनिच्छा नजर आ रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी थी लेकिन पुलिस ने जो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी वो अंतिम रिपोर्ट नहीं थी।

मामला 2018 का है। दिल्ली की एक महिला ने 22 अप्रैल 2018 को पुलिस थाने में शिकायत दी कि छतरपुर के एक फार्महाउस में शाहनवाज हुसैन ने उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला के मुताबिक उसकी शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसके बाद 26 अप्रैल 2018 को महिला ने पुलिस कमिश्नर से शिकायत की। महिला की शिकायत के मुताबिक पुलिस शाहनवाज हुसैन को बचाना चाहती थी।

महिला ने 21 जून 2018 को साकेत कोर्ट में याचिका दायर कर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराने की मांग की थी। महिला का आरोप था कि शाहनवाज हुसैन ने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी थी। पुलिस ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि शाहनवाज हुसैन के खिलाफ मामला नहीं बनता है। ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि महिला की शिकायत में संज्ञेय अपराध का होना पाया गया है। साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 7 जुलाई 2018 को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

शाहनवाज हुसैन ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर किया। स्पेशल जज ने भी 12 जुलाई को शाहनवाज हुसैन की याचिका खारिज करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर मुहर लगा दिया। स्पेशल कोर्ट ने कहा कि अपराध संशोधन अधिनियम के तहत रेप के मामले में पुलिस पीड़िता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए बाध्य है।

स्पेशल कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जो जांच की वो प्रारंभिक जांच थी और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने पुलिस की रिपोर्ट को मामला खत्म करने वाली रिपोर्ट नहीं मानकर सही किया। उसके बाद शाहनवाज हुसैन ने स्पेशल जज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने पुलिस को मामले में एफआईआर दर्ज न करने के लिए आड़े हाथों लिया था। हाई कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन की याचिका खारिज करते हुए 2018 में आए निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था।

आरोप झूठा और निराधार

हुसैन ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि पुलिस ने प्राथमिक जांच में महिला की तरफ से लगाए गए आरोप को झूठा और निराधार पाया था। लेकिन निचली अदालत के जज ने बिना कोई कारण बताए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दे दिया। लेकिन हाई कोर्ट ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया। जस्टिस मेनन ने अपने आदेश में लिखा है कि संज्ञेय और गंभीर प्रकृति के अपराध की जानकारी मिलने पर एफआईआर दर्ज करना पुलिस की ज़िम्मेदारी थी. लेकिन इसका पालन नहीं किया गया।

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने 2018 में एक महिला से दुष्कर्म के मामले में बिहार के पूर्व उद्योग मंत्री और वरिष्ठ बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जस्टिस आशा मेनन की बेंच ने दिल्ली पुलिस को तीन महीने में जांच कर ट्रायल कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने से साफ है कि इस मामले में एफआईआर दर्ज करने तक पुलिस की अनिच्छा नजर आ रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस से एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी थी लेकिन पुलिस ने जो रिपोर्ट कोर्ट में पेश की थी वो अंतिम रिपोर्ट नहीं थी।

मामला 2018 का है। दिल्ली की एक महिला ने 22 अप्रैल 2018 को पुलिस थाने में शिकायत दी कि छतरपुर के एक फार्महाउस में शाहनवाज हुसैन ने उसके साथ दुष्कर्म किया। महिला के मुताबिक उसकी शिकायत पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। उसके बाद 26 अप्रैल 2018 को महिला ने पुलिस कमिश्नर से शिकायत की। महिला की शिकायत के मुताबिक पुलिस शाहनवाज हुसैन को बचाना चाहती थी।

महिला ने 21 जून 2018 को साकेत कोर्ट में याचिका दायर कर शाहनवाज हुसैन के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराने की मांग की थी। महिला का आरोप था कि शाहनवाज हुसैन ने छतरपुर फार्म हाउस में उसके साथ दुष्कर्म किया और जान से मारने की धमकी दी थी।

पुलिस ने ट्रायल कोर्ट को बताया था कि शाहनवाज हुसैन के खिलाफ मामला नहीं बनता है। ट्रायल कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की इस दलील को खारिज करते हुए कहा था कि महिला की शिकायत में संज्ञेय अपराध का होना पाया गया है। साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 7 जुलाई 2018 को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।

शाहनवाज हुसैन ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर किया। स्पेशल जज ने भी 12 जुलाई को शाहनवाज हुसैन की याचिका खारिज करते हुए मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश पर मुहर लगा दिया।

स्पेशल कोर्ट ने कहा कि अपराध संशोधन अधिनियम के तहत रेप के मामले में पुलिस पीड़िता का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने के लिए बाध्य है। स्पेशल कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जो जांच की वो प्रारंभिक जांच थी और मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने पुलिस की रिपोर्ट को मामला खत्म करने वाली रिपोर्ट नहीं मानकर सही किया। उसके बाद शाहनवाज हुसैन ने स्पेशल जज के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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