बिहार में जाति आधारित गणना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच चुका है। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है। इससे पहले जाति आधारित गणना को रोकने के लिए दायर की गई याचिकाओं को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
जानकारी के अनुसार, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगा दी थी। 3 से 7 जुलाई तक कोर्ट में सुनवाई हुई। 7 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला एक अगस्त तक के लिए सुरक्षित रख लिया। एक अगस्त को हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी के खंडपीठ जातिगत जनगणना करने का आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने जाति आधारित गणना को जारी रखने के आदेश के बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। इसी को लेकर बिहार सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल की है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई और आदेश जारी न करें।
अर्जी में बिहार सरकार का कहना है कि बिना सरकार क पक्ष सुने सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश जारी ना करे। दरअसल मंगलवार को पटना हाईकोर्ट से हरी झण्डी मिलाने के बाद बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना को आज से फिर शुरू कर दिया है। बिहार सरकार नहीं चाहती है कि हाईकोर्ट की तरफ सुप्रीम कोर्ट में भी मामला अटके।
बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट अर्जी दाखिल करते कहा है कि बिना बिहार सरकार का पक्ष सुने बिना सुप्रीम कोर्ट कोई और आदेश जारी न करें। दरअसल, बीते कल ही पटना हाईकोर्ट में बिहार में जातीय गणना के मामले में बिहार सरकार को राहत देते हुए जातीय गणना जारी रखने का आदेश दिया गया था।
जातीय गणना को लेकर कल ही बिहार सरकार को पटना हाई कोर्ट से राहत मिली थी। पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से कराये जा रहे जातिगत सर्वे और आर्थिक सामाजिक सर्वेक्षण पर लगायी रोक को हटा दिया था।
इसके साथ ही इस संबंध में दायर सभी याचिका को निरस्त कर दिया. यह फैसला हाई कोर्ट मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पार्थसारथी का खंडपीठ ने दिया था। जाति गणना कार्य तत्काल आरंभ कराने का निर्देश दिया था।
इधर, बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने पत्र जारी कर कहा था कि पटना उच्च न्यायालय ने बिहार जाति आधारित गणना, 2022 के खिलाफ दायर सभी रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है। ऐसे में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र संख्या-8527 दिनांक 04.05.2023 की ओर से उच्च न्यायालय, पटना के आदेश के आलोक में बिहार जाति आधारित गणना, 2022 को अंतरिम रूप से स्थगित रखने संबंधी आदेश वापस लेते हुए कार्य पुनः तत्काल आरंभ कराने का निर्देश दिया गया है। सरकारी पत्र में कहा गया है कि जातीय गणना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।