रोहतास के पूर्व डीएम की लगातार मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। 33 साल पूर्व दुष्कर्म और चोरी के आरोप में जिला व्यवहार न्यायालय स्थित एडीजे प्रथम मनोज कुमार की अदालत ने एक्शन लेते हुए, रोहतास डीएम के वेतन निकासी पर रोक लगा दी है।
मामला 33 साल पुराना है, जिसकी प्राथमिकी 33 साल पूर्व 1990 में कोचस थाना में हुई थी। मामले का ट्रायल 1993 से चल रहा है, जिसमें दो आरोपी में से एक राजेंद्र डोम पिछले 33 वर्षों से न्यायालय में अनुपस्थित चल रहे हैं।
ऐसे में, यह कार्रवाई एडीजे प्रथम मनोज कुमार ने आरोपी एवं गवाहों की उपस्थिति के लिए दुष्कर्म एवं चोरी से जुड़े 33 साल एक पुराने लंबित मामले में की है। मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने डीएम के वेतन निकासी पर अगले आदेश तक रोक लगाने को कहा है।
चिकित्सक सहित मामले के छह गवाहों में से मात्र सूचिका की गवाही हुई है। अन्य पांच गवाहों की गवाही के लिए मामला लंबित है, जिसकी उपस्थिति को लेकर कोर्ट ने कई बार आदेश संबंधित अधिकारियों को जारी किया है। इसके बावजूद अधिकारी अभियुक्त एवं गवाहों को न्यायालय में उपस्थित कराने में कोई दिलचस्पी ने दिखा रहे हैं।
हर्जाना राशि जमा नहीं किए जाने पर नाराजगी जताते हुए यहां की अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत ने डीएम धर्मेंद्र कुमार के वेतन निकासी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है।
कोर्ट ने अभियोजन पक्ष को दोषी पाते हुए रोहतास डीएम के खिलाफ पूर्व में एक लाख रुपये स्थगन हर्जाना जमा करने का आदेश जारी किया था, जिसका पालन नहीं करने पर कोर्ट ने उनके वेतन निकासी पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है।
यह एक्शन 33 साल पहले हुए दुष्कर्म और चोरी के एक लंबित मामले में सुनवाई करते हुए वेतन निकासी पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगाने का निर्देश जारी किया गया है।
इसके पहले कोर्ट ने इसी मामले को लेकर एक लाख रुपये हर्जाने के तौर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करने का आदेश दिया था, जिसका पालन न होने पर कोर्ट ने यह एक्शन लिया है।