मई,18,2024
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Darbhanga के सिपाही लखेंद्र चौधरी 17 सालों से कोमा में, अब जगा पुलिस प्रशासन, भेजे गए अस्पताल, परिजनों में जगी उम्मीद

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दरभंगा, देशज टाइम्स अपराध ब्यूरो। आखिरकार दरभंगा एसएसपी अवकाश कुमार की नींद खुल गई। सिपाही 244 के मामले में खबर मिल रही है कि दरभंगा के एसएसपी ने उसके विकलांगिता को लेकर इलाज के लिये अस्पताल में जांच के लिए भेजा है। सिपाही लखेंद्र वास्तव में विकलांग है या नहीं।

चिकित्सक के रिपोर्ट पर ही यह आधारित होगा कि उसे विभाग में फिर से उसी तरह रखा जाय और वेतन दिया जाय? लेकिन, सिपाही लखेंद्र के परिजन इस उम्मीद में उठ खड़े हो गये हैं कि एसएसपी महोदय उसे न्याय देंगे। उसके रोके गये वेतन को फिर से चालू कर देंगे।

परिजन कहते हैं कि लखेंद्र के वेतन पर साहब ने ही रोक लगा दिया था। यहां बता दें,
सरकार कहती है कि महादलितों के उत्थान के लिये सरकार तत्पर है। गंभीर है। लेकिन, दरभंगा जिले के एक महादलित जाति के सिपाही के साथ विभाग समेत सरकार ने अन्याय कर दिया। एसएसपी ने ड्यूटी में तैनात नहीं देख उसके वेतन पर रोक लगा दिया था। लेकिन देशज टाइम्स में खबर छपने के बाद उसके परिवार वालों में उम्मीद जगी है।

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उसके समुचित इलाज और जांच के लिये उसे अस्पताल भेजा गया है। यहां बता दें, कि उस सिपाही के घर में खाना खाने के लिये भी पैसों की कमी है। बच्चों की पढ़ाई के लिये पैसा नहीं है। ऐसे में, कौन ऐसे परिवार की जिम्मेदारी लेगा यह सरकार से भी सवाल था, और पुलिस के आलाधिकारियों से भी।

सिपाही 244 लखेंद्र चौधरी का दोष क्या है? दोष है तो बस इतना कि 17 साल पहले चुनाव में उसे कोलकता से वैलेंट पेपर लाने का आदेश मिला था। जब वैलेंट पेपर लेकर आ रहा था तो गिरियक थाना क्षेत्र में उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उन्हें सिर में चोट लगी। साथ ही, कई अंग जख्मी हुए।

इस घटना के बाद वह कोमा में चले गए। इलाज के अभाव में आज भी वह कोमा में हैं। यही नहीं, पैर में लकवा मार दिया। वह सुन नहीं सकते, बोल नहीं सकते, खड़ा नहीं हो सकते तो ऐसे में डयूटी कैसे करेंगें।

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ऐसे में, दरभंगा के एसएसपी ने उनके वेतन पर रोक लगाते हुये मानवता को तार-तार कर दिया था। एसएसपी का कहना था कि ड्यूटी नहीं करने की वजह से उनके वेतन पर रोक लगा दिया गया था?

ऐसे में, सवाल उठता है कि सिपाही लखेंद्र चौधरी की आखिर गलती क्या थी? चुनाव के दौरान सरकारी आदेश का पालन करते हुये ड्यूटी के दौरान उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई थी। और, इसके बाद से ही इलाज के अभाव में वह नारकीय जीवन जी रहे हैं।

जिला प्रशासन को शुरुआती दौर में ही सही से इलाज कराना चाहिये था। लेकिन, सरकार ने उसका इलाज नहीं कराया। इलाज के नाम पर महज दस हजार रुपये उसके परिजनों को विभाग से मिला था।

उनकी पत्नी सीमा देवी जैसे-तैसे इलाज कराकर आज भी अपने पति को जिंदा रखीं हुईं हैं। उनकी पत्नी ने जमीन बेच दिया। गहना बेच दिया। लेकिन, अपने पति को जिंदा रखा।

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पति आज भी कोमा में हैं। कोई सुध-बुध नहीं है। एक सहारा था वेतन का, वह भी दरभंगा एसएसपी ने उनसे छीन लिया था। लेकिन, एसएसपी के इस कार्रवाई से फिर से उन्हें उम्मीद जगी है। अब तक उन्हें पुराना निर्धारित वेतन ही मिल रहा था, जो बंद हो गया है। कैसे चलेगा उनका घर, कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई, यह अहम सवाल है?

17 वर्षों से कोमा में चल रहे सिपाही आज भी कोमा में हैं। फिर वह ड्यूटी कैसे करेंगें?उनकी पत्नी सीमा ने इस बाबत आईजी, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री आदि कई जगहों पर आवेदन देकर न्याय की गुहार लगा चुकी हैं। लेकिन, उस महादलित सिपाही को न्याय देने वाला कोई नहीं था। अब फिर से उसके परिवार के लोगों में यह उम्मीद जगी है कि एसएसपी महोदय उसके साथ न्याय करेंगे।

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