मई,18,2024
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गया सिविल लाइंस थाने के 195 केसों की फाइलें लेकर चल दिए 22 पुलिस पदाधिकारियों पर FIR

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बिहार में ऐसा अर्से बाद हुआ है जब एक साथ 22 पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई हो। इन अधिकारियों में से कई ऐसे हैं जिनका ट्रांसफर्र दूसरे जिला या अन्य जगहों पर हो चुका है वहीं, अधिकांश प्रमोशन लेकर सीनियर बन गए हैं। मगर, एक साथ 22 एफआईआर से पूरे बिहार की पुलिस सकते में हैं।(FIR on 22 police officers) फिलहाल खबर गया से है जहां पिछले वर्षों में दर्ज 195 एफआईआर की जांच से संबंधित फाइल अपने साथ लेकर चले जाने वाले 22 पुलिस पदाधिकारियों पर एफआईआर दर्ज की गई है।

जानकारी के अनुसार, 195 केसों से संबंधित फाइल व प्रभार नहीं देने के मामले को लेकर 22 पुलिस पदाधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है। पुलिस मुख्यालय से कई बार निर्देश दिया गया है कि ट्रांसफर होते ही संबंधित केस का प्रभारगया सिविल लाइंस थाने के 195 केसों की फाइलें लेकर चल दिए 22 पुलिस पदाधिकारियों पर FIR संबंधित थाने के पुलिस पदाधिकारियों को सौंप दें, ताकि उसके आगे के अनुसंधान में कोई व्यवधान नहीं हो सके, लेकिन, छानबीन के दौरान पता चला कि सिविल लाइंस थाने में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व सहायक अवर निरीक्षक के पद पर रह चुके 22 पुलिस पदाधिकारियों ने 300 केसों को प्रभार ही नहीं दिया है।

इस मामले को जिले की एसएसपी हरजीत कौर ने गंभीरता से लिया और  सिविल लाइंस थाने में इंस्पेक्टर, सब इंस्पेक्टर व सहायक अवर निरीक्षक के पद पर कामकाज कर चुके 22 पुलिस पदाधिकारियों पर केस दर्ज कर दिया। इन पुलिसपप्पू यादव महिलाओं के सम्मान को पदयात्रा करते हैं दूसरी तरफ बोलते हैं कि  मैं मीडिया को लव लेटर लिखती हूं | SSP muzaffarpur ssp harpreet kaur give  answer of pappu yadav पदाधिकारियों पर आरोप है कि ये पिछले वर्षों में दर्ज हुए 195 प्राथमिकियों की जांच से संबंधित फाइल को लेकर अपने साथ चले गये हैं और उसे अब तक सिविल लाइंस थाने को नहीं लौटाया है।

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एसएसपी हरप्रीत कौर ने बताया कि किसी भी कांड के अनुसंधान को लेकर बनायी गयी फाइल सरकारी संपत्ति है। केस दर्ज होने पर उसकी जांच को लेकर थाने के किसी एक पुलिस पदाधिकारी को इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर-आइओ बनाया जाता है। नियम है कि अब आइओ का तबादला हो जाये, तो संबंधित थाने के पदाधिकारी को उक्त फाइल व प्रभार सौंपNo photo description available. दें। लेकिन, छानबीन में पता चला है कि सिविल लाइंस में दर्ज 195 प्राथमिकियों की जांच से संबंधित फाइल लेकर ही 22 दारोगा फरार हैं। 22 पुलिस पदाधिकारियों में से एक इंस्पेक्टर हरि ओझा खुद सिविल लाइंस थाने के थानाध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं, आरोपित बने सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार चौधरी विभागीय प्रोन्नति पाकर इंस्पेक्टर बन चुके हैं। इसके अलावा आरोपित पुलिस पदाधिकारियों में से कुछ रिटायर्ड हो चुके हैं। कुछ का स्थानांतरण दूसरे जिलों में हो चुका है।

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