Latur News: शिवराज पाटिल का निधन: भारतीय राजनीति के क्षितिज पर एक चमकता सितारा आज अस्त हो गया। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शिवराज पाटिल का 90 वर्ष की आयु में शुक्रवार सुबह लातूर स्थित उनके आवास पर निधन हो गया। उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है।
शिवराज पाटिल का निधन: भारतीय राजनीति के एक दिग्गज का अवसान
महाराष्ट्र के लातूर में भारतीय राजनीति के एक अध्याय का समापन हो गया। पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवराज पाटिल ने शुक्रवार सुबह करीब 6.30 बजे अपने आवास पर अंतिम सांस ली। वे लंबे समय से वृद्धावस्था संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और घर पर ही उनका इलाज चल रहा था। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं प्रकट की हैं। इस दुखद शिवराज पाटिल का निधन एक राजनीतिक युग के अवसान का प्रतीक है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। पाटिल का राजनीतिक जीवन न केवल लंबा बल्कि विविध पदों से सुशोभित रहा है।
लंबा और प्रभावशाली राजनीतिक जीवन
शिवराज पाटिल का जन्म 12 अक्टूबर, 1935 को हुआ था। उन्होंने 1980 से 2004 तक लगातार सात बार लातूर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व किया, जो उनकी लोकप्रियता और क्षेत्र में मजबूत पकड़ को दर्शाता है। उन्होंने 1980, 1984, 1989, 1991, 1996, 1998 और 1999 में लातूर सीट पर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2004 के लोकसभा चुनावों में उन्हें भाजपा की रूपताई पाटिल निलंगेकर से हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले, उन्होंने 1972 और 1978 में लातूर विधानसभा सीट पर भी जीत हासिल की थी। उनके आवास के बाहर से प्राप्त तस्वीरों में बड़ी संख्या में लोग और पार्टी कार्यकर्ता दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिखाई दे रहे हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
मुंबई 26/11 हमले और इस्तीफा
शिवराज पाटिल ने अपने राजनीतिक करियर में कई प्रतिष्ठित पदों पर कार्य किया। वे महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के लातूर से सांसद रहे। एक महत्वपूर्ण घटना जिसने उनके गृह मंत्री के कार्यकाल को परिभाषित किया, वह 2008 में मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले थे। उस समय पाटिल देश के गृह मंत्री थे। इस भयावह हमले के बाद सुरक्षा में चूक को लेकर उन्हें व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ा। उन्होंने मुंबई हमले को रोकने में अपनी विफलता स्वीकार की और नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन का एक चुनौतीपूर्ण अध्याय साबित हुई, लेकिन उन्होंने अपनी नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देते हुए पद छोड़ा।



