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दिसम्बर, 24, 2025

Higher Education में भारत के लिए 2035 तक 8.61 करोड़ छात्रों का लक्ष्य, NEP 2020 की बड़ी चुनौती

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Higher Education: देश के उच्च शिक्षा परिदृश्य में आने वाले वर्षों में एक बड़ी क्रांति और चुनौती दोनों ही देखने को मिलने वाली है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि करनी होगी। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत को 2035 तक उच्च शिक्षा में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि करनी होगी ताकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त किए जा सकें।

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Higher Education में भारत के लिए 2035 तक 8.61 करोड़ छात्रों का लक्ष्य, NEP 2020 की बड़ी चुनौती

उद्योग संगठन सीआईआई (CII) और ग्रांट थॉर्नटन भारत द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि मौजूदा स्थिति के मुकाबले देश को लगभग 85% अधिक एनरोलमेंट की आवश्यकता होगी। इसका सीधा अर्थ है कि आने वाले वर्षों में कॉलेज, यूनिवर्सिटीज और शिक्षकों की संख्या में भी बड़े पैमाने पर विस्तार करना अनिवार्य होगा। यह एक ऐसी चुनौती है जिसे पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर योजना और कार्यान्वयन की आवश्यकता होगी।

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Higher Education में एनरोलमेंट बढ़ाना क्यों है जरूरी?

रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का लक्ष्य है कि 2035 तक देश में सकल एनरोलमेंट अनुपात (GER) को 50% तक पहुंचाया जाए। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को करीब 8.61 करोड़ छात्रों को उच्च शिक्षा प्रणाली से जोड़ना होगा। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह आंकड़ा वर्तमान में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्रों की संख्या से काफी अधिक है। रिपोर्ट बताती है कि अगले 10 वर्षों तक प्रतिवर्ष लगभग 5.3 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि दर बनाए रखनी होगी, जो निश्चित रूप से एक आसान काम नहीं है। इस बड़े पैमाने पर छात्रों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शिक्षा के हर स्तर पर व्यापक सुधार और विस्तार की जरूरत होगी।

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बदलते समय में शिक्षा और रोजगार के नए आयाम

रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि केवल पारंपरिक कॉलेज और यूनिवर्सिटी ही इस विशाल आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाएंगे। भले ही फिजिकल कैंपस शिक्षा की रीढ़ बने रहेंगे, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को समायोजित करने के लिए नए और अभिनव रास्ते अपनाने होंगे। डिजिटल यूनिवर्सिटी, ऑनलाइन क्रेडिट कोर्स, वर्चुअल लर्निंग सिस्टम और टेक्नोलॉजी आधारित पढ़ाई को बड़े पैमाने पर अपनाने की आवश्यकता बताई गई है ताकि शिक्षा की पहुंच कैंपस की सीमाओं से बाहर तक बढ़ाई जा सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

इसके साथ ही, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आने वाले समय में नौकरी से जुड़ी स्किल्स तेजी से बदलने वाली हैं। अनुमान है कि 2030 तक लगभग 40 प्रतिशत जॉब स्किल्स में बदलाव आ जाएगा। इस वजह से, उच्च शिक्षा संस्थान पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार की जरूरतों को ध्यान में रखकर कोर्स डिजाइन कर रहे हैं। माइक्रो क्रेडेंशियल, मॉड्यूलर कोर्स, इंडस्ट्री के साथ मिलकर पढ़ाई और एआई आधारित असेसमेंट जैसे विकल्प तेजी से अपनाए जा रहे हैं।

तकनीक और गुणवत्ता से बदलेगी शिक्षा की तस्वीर

तकनीकी प्रगति, वैश्वीकरण और छात्रों की बदलती अपेक्षाओं के कारण उच्च शिक्षा संस्थान अपने सिस्टम में लगातार बदलाव कर रहे हैं। पढ़ाई के साथ-साथ प्रशासन, शासन और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भी डिजिटल साधनों का उपयोग बढ़ रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। लक्ष्य केवल छात्रों की संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के अनुभव को बेहतर बनाना भी है। लेटेस्ट एजुकेशन और जॉब अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें

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