दिल्ली न्यूज़: भारतीय राजनीति के उस दिग्गज नेता की जयंती आज है, जिसने देश को दशकों तक अपनी सेवाएँ दीं। प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक, हर कोई उनके योगदान को याद कर रहा है। आखिर कौन थे ये ‘भारत रत्न’ और क्यों आज भी उनकी सादगी और बुद्धिमत्ता की मिसालें दी जाती हैं, आइए जानते हैं…
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के पूर्व राष्ट्रपति और ‘भारत रत्न’ प्रणब मुखर्जी को उनकी जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री मोदी ने देश के सार्वजनिक जीवन में प्रणब मुखर्जी के लंबे और विशिष्ट योगदान को याद करते हुए उन्हें एक महान राजनेता और असाधारण विद्वान बताया। एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने लिखा, “श्री प्रणब मुखर्जी को उनकी जयंती पर मेरी श्रद्धांजलि। दशकों के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने अटूट समर्पण के साथ भारत की सेवा की। प्रणब बाबू की बुद्धिमत्ता और स्पष्ट सोच ने हर कदम पर हमारे लोकतंत्र को समृद्ध किया।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि यह उनका सौभाग्य रहा कि इतने वर्षों तक उनके साथ संवाद करने के दौरान उन्हें उनसे बहुत कुछ सीखने का अवसर मिला।
राजनेताओं ने किया ‘प्रणब दा’ को याद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी पूर्व राष्ट्रपति को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। गृह मंत्री शाह ने प्रणब मुखर्जी को एक ऐसे राजनेता के रूप में याद किया, जिनकी संविधान की गहरी समझ और दशकों की सार्वजनिक सेवा ने भारत के शासन पर अमिट छाप छोड़ी। उन्होंने एक्स पर अपनी पोस्ट में लिखा, “भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। सार्वजनिक सेवा के प्रति समर्पित नेता, मुखर्जी जी की संविधान की गहन समझ ने सार्वजनिक पदों पर उनके कार्यकाल को परिभाषित किया। उनका जीवन और कार्य हमारी लोकतांत्रिक यात्रा को प्रेरित करते रहेंगे।”
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपनी श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए लिखा, “पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न प्रणब मुखर्जी की जयंती पर उन्हें मेरी हार्दिक श्रद्धांजलि। उनकी दूरदृष्टि, सादगी और राष्ट्रहित के प्रति समर्पण भारतीय लोकतंत्र के लिए अमूल्य धरोहर हैं।”
भारत के तेरहवें राष्ट्रपति का योगदान
प्रणब मुखर्जी ने वर्ष 2012 से 2017 तक भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। उन्हें देश के सबसे कुशल प्रशासकों में से एक माना जाता है। सर्वसम्मति स्थापित करने में माहिर प्रणब मुखर्जी ने अपने लंबे और गौरवशाली सार्वजनिक जीवन में नीतियों को आकार देने और राजनीतिक चुनौतियों को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका राजनीतिक जीवन लगभग पांच दशकों तक फैला रहा, जिसमें उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारियां संभालीं और देश के आर्थिक व राजनीतिक परिदृश्य को गढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें भारतीय राजनीति का एक ऐसा स्तंभ माना जाता था, जिनके अनुभव और ज्ञान का लाभ सभी दल के नेता लेते थे।


