नवादा से बड़ी खबर है। नवादा में 27 अगस्त को वारसलीगंज के बौरी गांव के सिद्धेश्वर मांझी के पुत्र विजय मांझी स्थानीय मंडलकारा में शराब के आरोप में आए। वहीं, 29 अगस्त को अपराह्न करीब 6 बजे उनकी लाश पेड़ में गमछा से बंधी मिली। बुधवार की रात पुलिस पोस्टमार्टम के बाद विजय मांझी के शव को परिवार को सुपुर्द करने गई थी। तभी उग्र ग्रामीणों ने जेल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाते हुए पुलिस पर पथराव कर दिया।
इस घटना में शाहपुर पुलिस आउट पोस्ट में पदस्थापित एसआई रविकांत उपाध्याय और काशीचक थाना में पदस्थापित एएसआई दुर्गा प्रसाद के अलावा चार अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गए। गंभीर रूप से घायल एसआई रविकांत उपाध्याय को पावापुरी विम्स हॉस्पिटल रेफर कर दिया है।
मामला काशीचक थाना क्षेत्र का है जहां ग्रामीणों के पुलिस पर पथराव से छह पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। पुलिस सूत्रों ने गुरूवार को बताया कि पिछले शुक्रवार को काशीचक थाना क्षेत्र के बौरी गांव निवासी विजय मांझी को पुलिस ने शराब पीने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन मंगलवार को विजय का शव एक पेड़ में फंदे से लटका मिला था।
गांव वालों का कहना है कि पुलिस ने शराब पीने के आरोप में काशीचक गांव के विजय मांझी को गिरफ्तार किया था। जेल प्रशासन से मिलकर विजय की हत्या कर दी है। ग्रामीण इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पथराव के आरोप में 12 ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया है। ग्रामीणों की गिरफ्तारी और जेल में बंदी की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग करते हुए उग्र लोगों ने एम्बुलेंस पर शव को रखकर सरकट्टी- काशीचक पथ को जाम कर दिया। घटना की जानकारी के बाद पुलिस और प्रशासन के वरष्ठि अधिकारी मौके पर पहुंचकर कैंप कर रहे हैं।
वहीं, नवादा मंडल कारा में आखिर विचाराधीन बंदी आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? क्या इस जेल के बंदी को आत्महत्या करने का शौक है या इसका कोई ठोस कारण है? ऐसे आत्महत्या के लिए आखिर कौन जिम्मेवार और दोषी है? यह अति विचारणीय अहम मसला है। इस तरह की दर्दनाक और शर्मनाक घटना से आखिर कब तक मंडलकारा, नवादा कलंकित व बदनाम होता रहेगा?