Mumbai BMC Elections: राजनीति की बिसात पर मोहरों की चाल हमेशा सीधी नहीं होती। कभी-कभी अपने ही अपनों को मात दे जाते हैं। बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के लिए सीट बंटवारे को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा हुआ है, जहां रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) ने अपने सहयोगी भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के प्रमुख रामदास अठावले ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों के लिए सीट बंटवारे की बातचीत के दौरान उनकी पार्टी को दरकिनार करने का आरोप लगाया है। अठावले ने मुंबई में आरपीआई की मजबूत राजनीतिक पकड़ पर जोर देते हुए कहा कि भाजपा और शिवसेना के फिर से साथ आने से उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर नकारात्मक असर पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि आरपीआई को सीट बंटवारे की किसी भी चर्चा में शामिल ही नहीं किया गया। अठावले के मुताबिक, उन्हें बहुत देर से बताया गया कि उनकी पार्टी को केवल छह सीटें आवंटित की गई हैं।
केंद्रीय मंत्री अठावले ने एक बयान में कहा कि भाजपा और शिवसेना के बीच नए सिरे से बने देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें राजनीतिक गठबंधन ने आरपीआई के लिए टिकट हासिल करने में मुश्किलें पैदा कर दी हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “रिपब्लिकन पार्टी मुंबई में एक बहुत मजबूत दल है, लेकिन भाजपा ने हमें पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। सीट बंटवारे की चर्चाओं के दौरान हमें एक बार भी आमंत्रित नहीं किया गया।” अठावले ने दावा किया कि अगर आरपीआई को भाजपा-शिवसेना की बैठकों में बुलाया जाता, तो उन्हें कुछ सम्मानजनक सीटें मिल सकती थीं। उन्होंने बताया, “पिछली रात 2 बजे हमें सिर्फ यह बताया गया कि हमें छह सीटें दी गई हैं।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
मुंबई बीएमसी इलेक्शंस: क्या गठबंधन में सब ठीक नहीं?
केंद्रीय मंत्री ने आगे बताया कि आरपीआई ने भाजपा को 26 सीटों की एक विस्तृत सूची सौंपी थी और उन्हें उम्मीद थी कि उनमें से 14 से 15 सीटें उन्हें मिलेंगी। इस अप्रत्याशित परिणाम को “घोर विश्वासघात” करार देते हुए, अठावले ने घोषणा की कि उनकी पार्टी मुंबई की 28 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेगी और अपने स्वयं के चुनाव चिन्ह का उपयोग करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने उनसे संपर्क कर आरपीआई को छह सीटें आवंटित किए जाने की जानकारी दी थी। हालांकि, अठावले ने साफ कर दिया कि ये आवंटित सीटें उनकी पार्टी द्वारा मांगी गई सीटों में से नहीं थीं, और इन निर्वाचन क्षेत्रों में आरपीआई के पास कोई भी उम्मीदवार नहीं था।
अठावले ने बताया, “हमने जो 26 सीटों की सूची दी थी, उनमें से हमें उम्मीद थी कि कम से कम 14-15 सीटें आरपीआई को मिलेंगी। यह भाजपा का घोर विश्वासघात है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इसी कारण हम मुंबई की 28 सीटों पर आरपीआई के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ रहे हैं।” उन्होंने आगे कहा, “मुख्यमंत्री ने मुझे फोन किया और बताया कि उन्होंने आरपीआई को छह सीटें दे दी हैं। लेकिन हमने उनसे कहा कि ये वे सीटें हैं जिनकी हमने मांग नहीं की थी। हमारे पास वहां उम्मीदवार नहीं हैं।” मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर जवाब दिया, “हमारे उम्मीदवार हैं, इसलिए ये आपके उम्मीदवार हैं। चुनाव चिन्ह भी आपका ही होगा।” इन मतभेदों के बावजूद, आरपीआई प्रमुख ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी महायुति गठबंधन को अपना समर्थन जारी रखेगी।
सीट बंटवारे पर तकरार: क्या है आगे की रणनीति?
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का यह कदम महाराष्ट्र की राजनीतिक समीकरणों में एक नया मोड़ ला सकता है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या अठावले की पार्टी अपने दम पर 28 सीटों पर चुनाव लड़कर अपनी राजनीतिक ताकत साबित कर पाती है। इस विवाद से यह भी स्पष्ट होता है कि बड़े गठबंधन में छोटे सहयोगियों की अनदेखी के क्या परिणाम हो सकते हैं।




