राजनीति की पिच पर हार के बाद अक्सर अपनों की जुबान तीखी हो जाती है, और बिहार में लालटेन की रोशनी इस समय इसी आग में घिरी दिख रही है। RJD Crisis: चुनावी नतीजों के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर उठा घमासान अब खुलकर सामने आ रहा है, जहाँ पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के तीखे सवालों ने नए विवाद को जन्म दिया है।
लोकसभा चुनाव के बाद RJD Crisis: अंदरूनी कलह हुई उजागर
बिहार की राजनीति में लोकसभा चुनाव के परिणामों ने कई समीकरण बदले हैं, लेकिन सबसे गहरा असर शायद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के भीतर देखने को मिल रहा है। चुनाव में मिली हार के बाद से ही पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी लगातार नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं, जिससे पार्टी के अंदरूनी मामलों में हलचल तेज हो गई है। हाल ही में उनके बयानों पर पार्टी ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी है, वह इस बात का संकेत है कि अब यह बहस सिर्फ चार दीवारों के भीतर नहीं रही है।
यह पहली बार नहीं है जब शिवानंद तिवारी ने पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, लेकिन इस बार आरजेडी का पलटवार यह दर्शाता है कि धैर्य अब जवाब दे रहा है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को लेकर उठे सवालों से जहाँ एक ओर विरोधी दलों को हमला करने का मौका मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी इसका असर दिख रहा है। पार्टी के भीतर इस संकट को संभालने की जिम्मेदारी सीधे तौर पर युवा नेता तेजस्वी यादव पर है, जिनके नेतृत्व में आरजेडी ने चुनाव लड़ा था। इस पूरे घटनाक्रम ने पार्टी के भविष्य को लेकर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर, राजनीतिक दल चुनाव परिणामों के बाद आत्ममंथन करते हैं, लेकिन आरजेडी में यह मंथन अब खुलकर सामने आ रहा है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। आरजेडी के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती है कि वह अपने वरिष्ठ नेताओं की चिंताओं को कैसे दूर करती है और पार्टी में एकता बनाए रखती है।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
शिवानंद तिवारी के तीखे बोल और आरजेडी का जवाब
शिवानंद तिवारी ने हाल ही में अपने एक बयान में आरजेडी की हार के पीछे के कारणों पर गंभीर सवाल उठाए थे। उन्होंने पार्टी की रणनीति और शीर्ष नेतृत्व के फैसलों पर असंतोष व्यक्त किया था। उनके इन बयानों को मीडिया में खूब जगह मिली, जिसके बाद आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने मोर्चा संभाला और तिवारी को नसीहत दी। सिंह ने तिवारी को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए कहा कि पार्टी के मामलों पर सार्वजनिक रूप से टिप्पणी करना उचित नहीं है, बल्कि उन्हें आंतरिक मंचों पर अपनी बात रखनी चाहिए, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह प्रतिक्रिया दर्शाती है कि पार्टी अब ऐसे किसी भी बयान को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है जिससे तेजस्वी यादव की छवि या पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठे। इस पूरे विवाद ने बिहार की राजनीतिक गलियारों में गरमाहट ला दी है। देखना होगा कि आरजेडी इस अंदरूनी खींचतान को कैसे सुलझाती है और आगामी विधानसभा चुनावों से पहले अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से कैसे मजबूत करती है।

