सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार को ED निदेशक संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल बढ़ाने को लेकर करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी निदेशक संजय कुमार मिश्रा के तीसरी बार कार्यकाल विस्तार को अवैध ठहरा दिया है। ऑफिस खाली करने को कहा है।
कोर्ट ने केंद्र को कहा है कि 15 दिनों के अंदर ईडी के नए निदेशक की नियुक्ति की जाए। आदेश सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि तीसरी बार विस्तार कानून के तहत अमान्य है। प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 31 जुलाई, 2023 को समाप्त होने वाला है।
ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को पहली बार नवंबर 2018 में दो साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। यह कार्यकाल नवंबर 2020 में समाप्त हो गया। मई 2020 में, वह 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच गए थे।
इसके बाद 13 नवंबर, 2020 को केंद्र सरकार ने एक कार्यालय आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति ने 2018 के आदेश को इस आशय से संशोधित किया था कि ‘दो साल’ की अवधि को ‘तीन साल’ की अवधि में बदल दिया गया था। सरकार के इस आदेश को एक एनजीओ कॉमन कॉज ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
हालांकि वह 31 जुलाई 2023 तक इस पद पर बने रहेंगे। न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने माना कि संजय कुमार मिश्रा को दिया गया विस्तार, सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ की ओर से दिए गए 2021 के फैसले के विपरीत था। उस फैसले में कोर्ट ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें मिश्रा को विस्तार देने से रोक दिया गया था।
सामाजिक कार्यकर्ता और मध्य प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की महासचिव जया ठाकुर द्वारा दायर एक याचिका में प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के रूप में संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल के विस्तार के लिए केंद्र की ओर से पारित नवंबर 2021 के आदेश को रद्द करने की मांग की गई है।
याचिका वरिंदर कुमार शर्मा और वरुण ठाकुर के माध्यम से दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ता एडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा था कि सरकार संविधान के प्रावधान को बदलने के लिए अध्यादेश जारी नहीं कर सकती है और न ही लोकसभा और न ही राज्यसभा ने इसे पारित किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2021 के फैसले में संशोधन को मंजूरी दे दी, लेकिन मिश्रा को और विस्तार देने से मना कर दिया। 2021 में कोर्ट के फैसले के बाद, केंद्र सरकार केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) अधिनियम में संशोधन करते हुए एक अध्यादेश लेकर आई, जिससे खुद को ईडी निदेशक के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने की शक्ति मिल गई।
संसद ने बाद में इस संबंध में एक कानून पारित किया, जिसमें ईडी निदेशक के कार्यकाल को एक बार में एक वर्ष के लिए बढ़ाने की अनुमति दी गई, जो अधिकतम 5 वर्षों के अधीन होगा।