मुख्य बातें: थैलेसीमिया के मरीज के इलाज में बरती जा रही लापरवाही इसका जिम्मेवार कौन? स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष, सीएस या सिस्टम?जिंदगी से जंग लड़ रहें थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों के साथ सदर अस्पताल में की जा रही अनदेखी, सीएस के साथ साथ सदर अस्पताल के डॉक्टर भी हैं लापरवाह
थैलेसीमिया पीड़ित मरीज को ब्लड के अलावे आयरन कम करने की दवा निःशुल्क देने का है प्रावधान, मरीज को नहीं मिल रहा, डॉक्टर की लापरवाही के कारण दवा की मांग किए जाने के बावजूद कभी नहीं दिया गया मरीजों को दवा
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | मधुबनी के करीब 50 थैलेसीमिया मरीजों की जिंदगी दांव पर
जिंदगी के लिए जंग लड़ रहें है जिले में करीब 50 थैलेसीमिया मरीज। सभी मरीज व उनके परिजन बच्चों के जीवन की आस में स्वास्थ्य महकमे की ठोकरें खाने को मजबूर हैं।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | निर्देशों की धज्जियां उड़ाते मधुबनी के स्वास्थ्य व्यवस्थापक
खून की कमी से मौत से सामना करने वाले थैलेसीमिया रोग से पीड़ित मरीजों को बचाने के लिए बकायदा भारत सरकार की नेशनल रूरल हेल्थ मिशन व नेशनल ब्लड
ट्रांसफ्यूजन कॉउंसिल ऑफ बिहार ने राज्य के सभी स्वास्थ्य महकमे को हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराने के सख्त निर्देश दे रखे हैं। वहीं स्वास्थ्य महकमा है जो इन निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए इससे इत्तर काम करता नजर आ रहा है।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | दर-दर की ठोकरें खा रहे थैलेसीमिया पीड़ित मरीज
थैलेसीमिया जैसे असाध्य रोग से पीड़ित बच्चें जो शरीर से इस कदर रक्त की कमी के कारण कमजोर रहते है की वो खुद के सहारे सही से चल नहीं सकते उसके बावजूद अपने परिजनों के साथ जीवन की आस में सदर अस्पताल से लेकर डीएमसीएच तक चक्कर
लगाने को मजबूर है, लेकिन उन्हें बगैर परेशानी कोई सुविधा नहीं मिल पा रहा है। परिजनों को बच्चों के लिए ब्लड लेने के लिए कई बार स्वयं से या अपने परिजनों से रक्तदान तक करवाना पड़ता है, जिसके बाद उनके बच्चों को ब्लड मिल पाता है।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | समय पर ब्लड व दवा नहीं मिलने से जा सकती है थैलेसीमिया मरीज की जान
जानकारी के अनुसार, थैलेसीमिया पीड़ित मरीज को प्रत्येक पंद्रह से बीस दिन पर खून चढ़ाने की जरूरत पडती है। इस रोग में मरीज का रेड ब्लड सेल बहुत जल्दी समाप्त होने लगता है जिसके कारण मरीज का हीमोग्लोबिन बहुत कम हो जाता है।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | होमोग्लोबिन बरकरार रखने की जद्दोजहद में मरीज, जान भी आफत में
होमोग्लोबिन बरकरार रखने के लिए मरीज को महीने में दो बार या कमसे कम एक बार ब्लड की आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर किसी मरीज को समय उनके रक्त समूह का ब्लड नहीं चढ़ाया जाये तो उस परिस्थिति में मरीज की जान भी जा सकती है। ब्लड डोनेशन कम होने के कारण कई बार विभिन्न जिलों में इस प्रकार की समस्या उत्पन्न भी हो चुकी है।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | सदर अस्पताल को है आयरन चेलेटिंग दवा मंगवाना कभी नहीं मंगवाया बाहर से हजार रूपये में खरीद रहें परिजन
बीएमआईसीएल की ओर से जारी दवा की लिस्ट में थैलेसीमिया पीड़ित मरीजों के शरीर से आयरन की मात्रा कम करने वाली आयरन चिलेटिंग यानी डिफेरोक्सामीन इत्यादि दवा
उपलब्ध करवाने का लिखा रहने के बावजूद अभी तक सदर अस्पताल के अधिकारियों के लापरवाही के कारण मरीजों को दवा उपलब्ध करवाकर नहीं दिया जा रहा।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | थैलेसीमिया मरीज को डीएमसीएच में भी दवा मुहैया नहीं
जबकि इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा बिहार सरकार को राशि प्रदान किया जाता है। जिससे मरीज को निःशुल्क दवा उपलब्ध हो सके। हालांकि मरीज के परिजनों की माने तो थैलेसीमिया मरीज को डीएमसीएच में भी दवा मुहैया नहीं करवाया जा रहा।
वहीं, उक्त रोग से पीड़ित मरीज के जीवन के लिए यह अनिवार्य दवा है। मरीज के परिजन बाहर से हजार बारह सौ रूपये देकर दवा खरीदने को मजबूर है। अस्पताल में दवा की डिमांड करने वाले माधव जी की माने तो कभी डॉक्टर ने नहीं किया डिमांड जिसके कारण नहीं मंगवाया गया दवा।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | थैलेसीमिया मरीज के लिए नहीं है अलग से वार्ड, परिजनों की है सीएस से अलग वार्ड की मांग
थैलेसीमिया मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होने के कारण किसी भी रोगों के संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है, लिहाजा किसी भी वार्ड में थैलेसीमिया मरीज को एडमिट किये जाने के बजाए एक अलग वार्ड की जरुरत है, लेकिन सदर अस्पताल में इस प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। मरीजों के परिजनों की सिविल सर्जन से मांग है की अस्पताल में एक अलग से वार्ड की व्यवस्था किया जाय।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | अस्पताल के ब्लड बैंक में सुविधा नहीं रहने के कारण मरीज को चढ़ाया जाता है होल ब्लड जबकि उन्हें चढ़ाना है पीआरबीसी
उक्त रोग से ग्रसित मरीजों को पीआरबीसी ब्लड की जरूरत होती है लेकिन सदर अस्पताल के ब्लड बैंक में मशीन नहीं रहने के कारण उन्हें होल ब्लड चढ़ाया जाता है। होल ब्लड चढ़ाये जाने के कारण मरीज के शरीर में आयरन (लोह तत्व ) की वृद्धि हो जाती है, जबकि इस रोग से पीड़ित मरीज के शरीर में आयरन की मात्रा को सिमित रखा जाना होता है।
Madhubani News | Thalassemia Exclusive Report | कहते हैं ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. कुणाल, नहीं है मशीन
उक्त मामले पर ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. कुणाल ने बताया कि अस्पताल में पीआरबीसी की सुविधा को लेकर मशीन नहीं है। जिसके कारण मरीज को होल ब्लड चढ़ाया जाता है। मशीन की मांग को लेकर विभाग को कई बार पूर्व में भी लिखा गया लेकिन सुविधा नहीं मिली। पुनः मांग किया जायेगा। साथ ही बच्चों को जरूरत के मुताबिक ब्लड की यूनिट को लेकर भी बैग की उपलब्धता करवाई जाएगी, जिससे ब्लड की बर्बादी रुकेगी।