Somnath Jyotirlinga: भोपाल के इतिहास की घड़ी ने मानो 1000 साल लंबी प्रतीक्षा की सुइयों को एक ही पल में पूरा कर दिया है, जब एक अदृश्य इतिहास और विज्ञान का सूर्योदय होने जा रहा है।
Somnath Jyotirlinga: 1000 साल बाद भोपाल में ऐतिहासिक रुद्र पूजा, जानें हवा में तैरने वाले शिवलिंग का अद्भुत रहस्य
Somnath Jyotirlinga: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल 4 जनवरी 2026 को एक ऐसे अलौकिक और ऐतिहासिक क्षण का गवाह बनने जा रही है, जिसका इंतजार सनातन संस्कृति को एक सहस्राब्दी से था। आर्ट ऑफ लिविंग संस्था द्वारा रवींद्र भवन के मुक्ताकाश मंच पर दिव्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग रुद्र पूजा एवं दर्शन का आयोजन किया जा रहा है, जो केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि 1000 साल पुराने एक रहस्य से पर्दा उठाने का अवसर है।
Somnath Jyotirlinga का 1000 साल पुराना रहस्यमयी इतिहास
इस पूरे आयोजन का केंद्र बिंदु वे पवित्र पाषाण हैं, जो मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के ही अंश हैं। इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि वर्ष 1024 में जब महमूद गजनवी ने मंदिर पर आक्रमण किया था, तब वहां के अग्निहोत्री ब्राह्मण पुजारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर मूल ज्योतिर्लिंग के इन अंशों को बचा लिया था। इन अंशों की सबसे बड़ी विशेषता इनका ‘हवा में तैरना’ (Levitating) था। पिछले 1000 वर्षों से, पुजारी परिवार की पीढ़ियां गुप्त रूप से इन धरोहरों की पूजा और संरक्षण करती आ रही थीं।
विज्ञान भी नतमस्तक, बिना लोहे के चुंबकीय पत्थर
यह केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि आधुनिक विज्ञान के लिए भी एक चुनौती है। भू-वैज्ञानिकों द्वारा की गई जांच में यह प्रमाणित हुआ है कि इन पवित्र पत्थरों में लोहे की मात्रा लगभग शून्य है, इसके बावजूद इनमें अद्भुत चुंबकीय गुण मौजूद हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यही वह प्राचीन भारतीय विज्ञान था, जो उस विशाल शिवलिंग को बिना किसी सहारे के हवा में स्थिर रखता था। यह आयोजन भोपाल के युवाओं और प्रबुद्ध नागरिकों को उस विज्ञान को अपनी आंखों से देखने का एक अनमोल अवसर प्रदान करेगा।
100 साल पुरानी भविष्यवाणी जो सच हुई
इन पवित्र अंशों का अब सार्वजनिक होना एक सदी पुरानी भविष्यवाणी के सच होने का प्रमाण है। वर्ष 1924 में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जी ने संरक्षक परिवार को इन अंशों को अगले 100 वर्षों तक गुप्त रखने का निर्देश दिया था। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की थी कि एक सदी के बाद, यह धरोहर ‘शंकर’ नाम के एक महान संत को सौंपी जाएगी। ठीक इसी दैवीय विधान के अनुसार, जनवरी 2025 में इस परिवार ने यह अमूल्य विरासत परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर जी को सौंप दी। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/
भोपाल में होगा भव्य आयोजन, जानें पूरी डिटेल
यह पूजा सिर्फ एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उस दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का माध्यम है, जिसे हमारे पूर्वजों ने पूजा था। आर्ट ऑफ लिविंग का संकल्प है कि भोपाल का हर नागरिक इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बने। भोपाल के सभी नागरिकों से यह विनम्र निवेदन है कि आप सभी इस भव्य आयोजन में सपरिवार शामिल होकर इस दैवीय अवसर का लाभ उठाएं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
कार्यक्रम का विवरण:
- दिनांक: 4 जनवरी 2026 (रविवार)
- समय: प्रातः 10:00 बजे से
- स्थान: मुक्ताकाश मंच, रवींद्र भवन, भोपाल



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