West Bengal Election News: सियासत की बिसात पर अक्सर मोहरे बदले जाते हैं, लेकिन जब संवैधानिक संस्थाओं पर ही सवाल उठने लगें, तो लोकतंत्र की नींव हिलने लगती है। पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग पर तृणमूल कांग्रेस के तीखे हमले ने एक नई बहस छेड़ दी है, जहां पार्टी ने आयोग को “व्हाट्सएप आयोग” तक कह डाला।
West Bengal Election News: अभिषेक बनर्जी ने चुनाव आयोग को बताया ‘व्हाट्सएप आयोग’, मांगी माफी
पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप: विशेष पुनरीक्षण अभियान पर सवाल
तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को आड़े हाथों लिया। उन्होंने आयोग को “व्हाट्सएप आयोग” करार दिया और मांग की कि संवैधानिक संस्था को पश्चिम बंगाल की जनता से माफी मांगनी चाहिए। बनर्जी ने दावा किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान केवल राज्य को परेशान करने के लिए चलाया गया था। उन्होंने एसआईआर अभ्यास के दौरान बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) की कथित मौतों का भी गंभीर जिक्र किया। पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल में एसआईआर के तहत मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया गया था, जिसके बाद यह विवाद गहरा गया है।
बनर्जी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए बताया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान 45 लोगों की जान चली गई और छह लोग अस्पताल में भर्ती हुए। इसके अतिरिक्त, 29 बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने तो आत्महत्या का प्रयास भी किया। उन्होंने कहा, “हमने चुनाव आयोग से पांच बुनियादी सवाल पूछे, लेकिन हमें एक भी जवाब नहीं मिला।” उन्होंने आगे जोड़ा, “चुनाव आयोग ने मीडिया को बताया कि उन्होंने जवाब दे दिए हैं, जो पूरी तरह गलत है।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उन्होंने चुनाव आयोग से यह भी सवाल किया कि पश्चिम बंगाल में सूक्ष्म पर्यवेक्षक क्यों भेजे गए, जबकि गुजरात में ऐसा नहीं किया गया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि एसआईआर पश्चिम बंगाल को ‘परेशान’ करने की एक सुनियोजित प्रक्रिया है। “आप बंगाल में सूक्ष्म पर्यवेक्षक भेजते हैं, लेकिन गुजरात में क्यों नहीं? इसे बंगाल में चुनिंदा रूप से लागू किया जा रहा है।” चुनाव आयोग की मसौदा सूची के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत डेटा मैपिंग पूरी हो चुकी है, तो चुनाव आयोग ने पहले यह क्यों कहा था कि 40-50 प्रतिशत मैपिंग का पता लगाना संभव नहीं है? बनर्जी ने कहा कि आयोग को बंगाल की जनता से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि सभी नीतियां ‘व्हाट्सएप’ के माध्यम से बनाई जा रही हैं; यह केवल एक व्हाट्सएप आयोग बनकर रह गया है।
ईसीआई पर डेटा छिपाने और भाजपा से सांठगाठ के आरोप
टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी ने यह भी बताया कि वे 31 दिसंबर को मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार से एसआईआर सूची के विवरण पर चर्चा करने के लिए मुलाकात करेंगे। उन्होंने चुनाव आयोग पर “सही सूची” छिपाने और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से जुड़े होने का आरोप लगाया। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। उन्होंने ईसीआई के आवेदन में मौजूद “खामियों” को भी उजागर किया और दावा किया कि सीमा खन्ना नाम की एक व्यक्ति ईसीआई आवेदन का प्रबंधन कर रही है। यह आरोप निश्चित रूप से चुनावी पारदर्शिता और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं, और आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर लगातार उठ रहे इन सवालों का जवाब देना चुनाव आयोग के लिए चुनौती भरा होगा।



