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दिसम्बर, 25, 2025

Agra Murder Case: 24 साल बाद आया फैसला, तीन भाइयों को उम्रकैद

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Agra Murder Case: समय के पहियों पर चाहे जितनी धूल जम जाए, न्याय की आस कभी नहीं मरती। 24 साल बाद आगरा में एक हत्याकांड का फैसला आया है, जिसने दिखाया कि कानून की आँखें देर से ही सही, पर अपराधियों तक पहुंच ही जाती हैं।

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Agra Murder Case: 24 साल बाद आया फैसला, तीन भाइयों को उम्रकैद

Agra Murder Case: 24 साल पुराना सनसनीखेज मामला

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में न्याय की धीमी, लेकिन अटल प्रक्रिया ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई है। फतेहाबाद क्षेत्र में 24 साल पहले हुई एक युवक की हत्या के मामले में स्थानीय अदालत ने तीन सगे भाइयों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। यह फैसला लंबे इंतजार के बाद आया है, जो बताता है कि अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो, अदालती प्रक्रिया अपना रास्ता खोज ही लेती है।

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अपर जिला शासकीय अधिवक्ता नरेंद्र सिंह ने इस अहम फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार महाजन की अदालत ने पालिया गांव निवासी राज बहादुर के बेटे की 23 अप्रैल, 2001 को हुई हत्या के लिए इन तीनों अभियुक्तों को दोषी पाया है। वारदात के बाद राज बहादुर ने फतेहाबाद थाने में आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उनके बेटे को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह मामला तब से ही कानूनी दांवपेंच में उलझा हुआ था।

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अदालत ने करुआ उर्फ राधेश्याम, अरुण कुमार और उमेश कुमार को हत्या का दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही प्रत्येक दोषी पर 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह राशि पीड़ित परिवार को मुआवजे के तौर पर दिए जाने की संभावना है। इस मामले में आरोपियों के खिलाफ 2 अप्रैल, 2002 को आरोप तय किए गए थे।

न्याय की जीत: गवाहों और सबूतों पर आधारित फैसला

लंबी सुनवाई के दौरान अदालत ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शिकायतकर्ता राज बहादुर और अन्य गवाहों के बयानों का गहन अध्ययन किया। ठोस सबूतों और विश्वसनीय गवाहियों के आधार पर ही इस मामले में अंतिम अदालती फैसला सुनाया गया। यह दिखाता है कि एक सुदृढ़ न्याय प्रणाली कैसे काम करती है, भले ही उसमें समय लगे। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। दोषियों को सजा मिलने से पीड़ित परिवार को एक तरह से शांति मिली होगी, हालांकि अपने बेटे को खोने का दुख कभी कम नहीं हो सकता। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि अपराधी कितनी भी कोशिश कर लें, कानून की गिरफ्त से बच पाना मुश्किल है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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