Agra News: न्याय की चक्की भले ही देर से चले, पर पीसती ज़रूर बारीक है। आगरा में 24 साल बाद आए एक फैसले ने यह बात एक बार फिर साबित कर दी। उत्तर प्रदेश के आगरा जिले की एक स्थानीय अदालत ने लगभग ढाई दशक पुराने एक हत्याकांड में तीन भाइयों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। यह फैसला जिले के फतेहाबाद क्षेत्र में एक युवक की हत्या के करीब 24 साल बाद आया है।
Agra News: फतेहाबाद हत्याकांड में न्याय की लंबी लड़ाई
अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश नीरज कुमार महाजन ने पालिया गांव निवासी राज बहादुर के बेटे की 23 अप्रैल, 2001 को हुई हत्या के लिए इन तीनों को दोषी ठहराया है। अदालत ने लंबी सुनवाई के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट, शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों के बयान के आधार पर यह निर्णय सुनाया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
इस दिल दहला देने वाले हत्याकांड के बाद मृतक के पिता राज बहादुर ने आरोपियों के खिलाफ फतेहाबाद पुलिस थाने में प्राथमिक सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज कराई थी। उनके बेटे की गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी गई थी। न्याय की इस राह में उन्हें लंबा इंतज़ार करना पड़ा।
अदालत ने करुआ उर्फ राधेश्याम, अरुण कुमार और उमेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा के साथ-साथ प्रत्येक पर 40-40 हज़ार रुपये, यानी कुल 1.20 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला उन सभी के लिए एक संदेश है जो सोचते हैं कि कानून की पहुँच से दूर रहा जा सकता है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
इन आरोपियों के खिलाफ 2 अप्रैल, 2002 को आरोप तय किए गए थे, जिसके बाद से यह मामला न्यायालय में चल रहा था। इस बहुचर्चित हत्याकांड में पीड़ित परिवार को आखिरकार न्याय मिल ही गया। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
लंबे कानूनी संघर्ष के बाद न्याय की जीत
यह फैसला न केवल मृतक के परिवार को न्याय दिलाता है, बल्कि यह भी स्थापित करता है कि आपराधिक मामलों में देरी भले ही हो, लेकिन अंततः सत्य और न्याय की विजय होती है। 24 साल का यह इंतज़ार दर्शाता है कि न्यायिक प्रक्रिया जटिल हो सकती है, लेकिन पीड़ितों को हार नहीं माननी चाहिए।



