Atal Bihari Vajpayee: सियासत की बिसात पर, विरासत को लेकर घमासान कोई नई बात नहीं, लेकिन जब बात देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी से जुड़े स्थानों की हो, तो मुद्दा और भी गंभीर हो जाता है। इस बार समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बटेश्वर गांव की कथित उपेक्षा पर सीधा सवाल उठाया है।
अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक गांव की उपेक्षा पर अखिलेश का हमला, योगी सरकार पर दागे सवाल
अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक गांव बटेश्वर की अनदेखी पर सियासी वार
समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के पैतृक गांव बटेश्वर की कथित उपेक्षा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। यादव ने जोर देकर कहा कि यूपी सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर क्यों वाजपेयी जी से जुड़े इस महत्वपूर्ण स्थान की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने इस उपेक्षा के पीछे के कारणों पर भी सवाल उठाए हैं।
अखिलेश यादव ने वाजपेयी जी की जयंती के अवसर पर एक सार्वजनिक बयान में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान बटेश्वर की ओर आकर्षित किया। उन्होंने पूछा, “भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर उन्हें याद करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री जी का ध्यान इस बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं कि उनके पैतृक स्थान बटेश्वर की उपेक्षा क्यों की जा रही है, क्या इसके पीछे कोई खास कारण है?” यह सवाल सीधे तौर पर राज्य प्रशासन की भूमिका पर प्रश्नचिह्न लगाता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
अखिलेश यादव यहीं नहीं रुके। उन्होंने भाजपा की नीतियों पर भी प्रहार किया। उन्होंने अपने बयान में कहा, “भाजपा केवल राजनीतिक लाभ के लिए गगनचुंबी मूर्तियां तो बनवाती है, लेकिन सच में किसी के सम्मान में कोई सच्चा स्मारक नहीं बनवाती। भाजपा की मूर्तियां भी सियासी होती हैं।” यह बयान भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाता है, जहां वे दिखावटी सम्मान पर जोर देते हैं लेकिन वास्तविक विरासत की अनदेखी करते हैं।
सुशासन दिवस और बटेश्वर की हकीकत
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। उनका पैतृक गांव बटेश्वर, उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है, जो उनके बचपन और शुरुआती जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण स्थान है। उनका निधन 16 अगस्त 2018 को दिल्ली में हुआ था। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें। केंद्र सरकार उनकी जयंती को ‘सुशासन दिवस’ के रूप में मनाती है, जो उनके सिद्धांतों और सुशासन के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को याद दिलाता है। ऐसे में बटेश्वर की अनदेखी पर सवाल उठना स्वाभाविक है। इस पूरे मामले पर यूपी सरकार को जल्द ही अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए ताकि किसी भी तरह की सियासी अटकलों पर विराम लग सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1 और हम आपको ऐसे ही सटीक और विश्वसनीय समाचार पहुंचाते रहेंगे।




