Amarinder Singh: राजनीति का रंगमंच अजीब है, जहां कभी एक ही पाले में खड़े सिपाही, पाला बदलने के बाद अपने ही पुराने मोर्चे पर सवाल उठाते नजर आते हैं। ऐसा ही कुछ पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ है, जो अब भाजपा में हैं लेकिन अपनी नई पार्टी के कामकाज पर भी बेबाकी से बोल रहे हैं।
पंजाब की राजनीति: भाजपा के कामकाज पर अमरिंदर सिंह का बड़ा बयान, कांग्रेस वापसी से इनकार!
अमरिंदर सिंह: भाजपा की कार्यशैली पर सवाल और कांग्रेस से नाराजगी
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कार्यप्रणाली पर खुलकर अपनी राय रखी है। उनका कहना है कि कांग्रेस के विपरीत, भाजपा उनसे महत्वपूर्ण मामलों पर सलाह नहीं ले रही है। हालांकि, उन्होंने इस बात से साफ इनकार किया कि वे अपनी पूर्व पार्टी कांग्रेस में फिर से शामिल होंगे। भाजपा में शामिल हुए सिंह ने इस बात पर फिर से जोर दिया कि कांग्रेस में रहते हुए जिस तरह से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था, उस घटना की टीस उन्हें आज भी महसूस होती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस में लौटने का सवाल ही पैदा नहीं होता। फिर भी, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी उनसे किसी भी तरह की मदद मांगेंगी, तो वे व्यक्तिगत रूप से हमेशा उनके लिए उपलब्ध रहेंगे, हालांकि इसका कोई राजनीतिक मायने नहीं होगा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मिलना कांग्रेस के आलाकमान से मिलने की तुलना में कहीं अधिक आसान है। उन्होंने याद दिलाया कि कांग्रेस अपने नेताओं से अक्सर सलाह-मशविरा करती थी और उसकी आंतरिक प्रणाली कहीं अधिक लोकतांत्रिक थी। सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुले दिल से प्रशंसा की, यह कहते हुए कि प्रधानमंत्री का पंजाब के प्रति विशेष लगाव है और वे राज्य के हित में कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हालांकि उन्होंने प्रधानमंत्री को भाजपा के प्रति अपनी पूरी प्रतिबद्धता से अवगत करा दिया है, फिर भी वे व्यक्तिगत तौर पर भाजपा के कई राष्ट्रीय नेताओं को अभी तक ठीक से नहीं जानते हैं।
भाजपा बनाम कांग्रेस: लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अंतर
पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का कहना है कि भाजपा अपने आंतरिक निर्णय सार्वजनिक नहीं करती है और ऐसा लगता है कि सभी महत्वपूर्ण फैसले दिल्ली में बैठे केंद्रीय नेतृत्व द्वारा जमीनी स्तर के नेताओं से बिना किसी परामर्श के लिए जाते हैं। दो बार पंजाब के मुख्यमंत्री रह चुके सिंह ने कहा कि भाजपा मुझसे सलाह नहीं लेती है। उनके शब्दों में, “मेरे पास 60 साल का लंबा राजनीतिक अनुभव है, लेकिन मैं उन पर अपना प्रभाव नहीं थोप सकता।” 83 वर्षीय इस वरिष्ठ नेता ने पंजाब की जनता से राज्य में “स्थिरता” बनाए रखने के लिए भाजपा को एक विकल्प के रूप में देखने का आग्रह किया। उन्होंने दृढ़तापूर्वक कहा कि भारत की सुरक्षा और पंजाब के हित आपस में गहरे जुड़े हुए हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
पंजाब का भविष्य और कैप्टन का राजनीतिक सफर
गौरतलब है कि पंजाब कांग्रेस की राज्य इकाई में चल रहे आंतरिक कलह और खींचतान के बाद अमरिंदर सिंह ने सितंबर 2021 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद जब चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने, तो सिंह ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी और अपनी एक नई पार्टी का गठन किया। बाद में, 2022 में उनकी पार्टी का भाजपा में विलय हो गया। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह घटनाक्रम नवजोत कौर सिद्धू के एक विवादास्पद बयान के बाद हुए राजनीतिक हंगामे के मद्देनजर सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि पंजाब में जो भी “500 करोड़ रुपये का सूटकेस दे दे”, वही मुख्यमंत्री बन जाता है। इस बयान ने पंजाब की राजनीति में भूचाल ला दिया था। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।



