मई,18,2024
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Bihar-Bodhgaya Blast Case: बोधगया ब्लास्ट में 3 आईईडी लगाने वाले आतंकी जाहिदुल को 10 साल की कैद, जमात-उल-मुजाहिदीन से है बांग्लादेशी आतंकवादी का संबंध

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बिहार में साल 2018 के जनवरी महीने में बोधगया में दलाईलामा के कार्यक्रम के दौरान हुए ब्लास्ट की साजिश में शामिल आखिरी दोषी जेहीदुल इस्लाम को भी पटना की एनआईए कोर्ट ने शुक्रवार को सजा (Bihar-Bodhgaya Blast case jahidual 10 years pensioners) सुना दी। जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर ने खुद अपना गुनाह कबूल किया था। अन्य दोषियों को कोर्ट पहले ही सजा सुना चुकी है।

जमात-उल-मुजाहिदीन से है बांग्लादेशी आतंकवादी का संबंध
एक अधिकारी ने कहा कि इस्लाम को आईपीसी की धारा 121ए, 122, 123, 471, यूए (पी) अधिनियम की धारा 16, 18, 18बी और 20, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 4 और 5 और विदेशी अधिनियम की 14 के तहत दोषी ठहराया गया।

एनआईए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश गुरविंदर सिंह मल्होत्रा ने शुक्रवार को जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश के आतंकी बांग्लादेशी नागरिक जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को दस साल के कारावास की सजा सुनाने के साथ ही 38 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। बोधगया ब्लास्ट कांड में शामिल नौ में से आठ आरोपितों ने बीते दस दिसंबर को कोर्ट में आवेदन देकर अपराध स्वीकार किया था।

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तीन आईईडी लगाने का दोषी पाया गया था आतंकी जाहिदुल
जाहिदुल इस्लाम ने जनवरी महीने में अपराध स्वीकार करने के लिए एनआईए कोर्ट में आवेदन दिया था। पिछले साल 26 दिसंबर को कोर्ट ने आठ में से तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। वहीं, बाकी पांच को दस-दस साल की सजा सुनाई गई थी।

एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने नौवें दोषी को सुनाई सजा
उल्लेखनीय है कि 19 जनवरी, 2018 को बोधगया में दलाईलामा की निगमा पूजा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी बौद्ध धर्मावलंबी और विशिष्ठ अतिथि आए हुए थे। घटना को अंजाम देने के लिए आरोपितों ने कालचक्र मैदान में बम को प्लांट किया था। महाबोधि मंदिर के मुख्य परिसर के पास विस्फोटक को रखा गया था। आईईडी आंशिक रूप से विस्फोट हुआ था।

सुरक्षा बलों ने अन्य बमों को निष्क्रिय कर दिया था। बुधवार को जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर को तीन आईईडी लगाने का दोषी ठहराया गया था। समय रहते पुलिस ने एक बड़ी घटना को विफल कर दिया था। इस मामले में तीन अन्य दोषियों को उम्रकैद और पांच को दस-दस साल कैद की सजा पहले ही हो चुकी है।

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मामले में पैगंबर शेख, अहमद अली उर्फ कालू और नूर आलम मोमिन को उम्रकैद, जबकि दिलावर हुसैन, आरिफ हुसैन उर्फ अनस उर्फ अताकुर उर्फ सैयद उर्फ आलमगीर शेख, मुस्तफा रहमान उर्फ शाहीन उर्फ तूहीन, मोहम्मद आदिल शेख उर्फ अब्दुल्लाह और अब्दुल करीम उर्फ फंटू शेख उर्फ करीम शेख उर्फ इकबाल को दस-दस साल कैद की सजा हुई थी।

2018 में NIA ने दर्ज किया था केस
अदालत ने तीन आतंकवादियों- पी.शेख, अहमद अली और नूर आलम मोमिन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अन्य पांच आतंकवादियों आदिल शेख, दिलवर हुसैन, अब्दुल करीम उर्फ कोरीम, मुस्तफिजुर रहमान उर्फ शाहीन और आरिफ हुसैन को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई। एनआईए ने 3 फरवरी, 2018 को मामला दर्ज किया था।

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पहला इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) कालचक्र मैदान के गेट नंबर 5 पर पाया गया था और इसे सुरक्षित करने के दौरान इसमें विस्फोट हो गया था। दो और आईईडी बाद में श्रीलंकाई मठ के पास और महाबोधि मंदिर के गेट नंबर 4 की सीढ़ियों पर पाए गए।

ऐसे रची गई थी साजिश
एनआईए द्वारा की गई जांच में पाया गया कि गणमान्य व्यक्तियों के दौरे से पहले दोषी व्यक्तियों ने बोधगया मंदिर परिसर में आईईडी लगाकर साजिश रची थी। जेएमबी के आतंकवादियों ने एक-दूसरे से संपर्क किया, एक साथ यात्रा की, साजिश रची और विस्फोटक खरीदे, बोधगया मंदिर परिसर में इन तीनों आईईडी को लगाया।

साल 2018 में तीन गिरफ्तार आरोपियों- पीशेख, अहमद अली और नूर आलम के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था और बाद में 2019 में 6 और व्यक्तियों-आदिल शेख, दिलवर हुसैन, अब्दुल करीम उर्फ कोरीम, मुस्तफिजुर रहमान, जाहिदुल इस्लाम उर्फ कौसर और आरिफ हुसैन के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया गया था।

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