Indian Railways: पटरियों पर रेंगती व्यवस्था, झूठे प्रचार की रेलगाड़ी और आम आदमी पर किराए का बोझ – कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है।
भारतीय रेलवे: खरगे बोले – ‘मोदी सरकार की उपेक्षा, उदासीनता और झूठे प्रचार की दुखद गाथा’
केंद्र सरकार के हालिया रेल किराया वृद्धि के फैसले की आलोचना करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पर आम जनता पर बोझ डालने का आरोप लगाया। खरगे ने कहा कि भारतीय रेलवे इस समय उपेक्षा, उदासीनता और झूठे प्रचार की दुखद गाथा का सामना कर रहा है।
खरगे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आरोप लगाया कि अलग रेलवे बजट को खत्म करने के बाद से भारतीय रेल में जवाबदेही कम हो गई है। उन्होंने दावा किया कि सरकार रेलवे की बिगड़ती स्थिति को सुधारने के बजाय केवल प्रचार पर ध्यान केंद्रित कर रही है। यह महज कुछ दिनों पहले की बात है, जब आम बजट पेश होने से ठीक पहले, एक ही साल में दूसरी बार रेल किराया बढ़ाया गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। अलग रेलवे बजट के अभाव में, वित्तीय जवाबदेही लगभग गायब हो चुकी है, जिससे भारतीय रेल एक कुपोषित संस्थान बनती जा रही है।
## भारतीय रेलवे की बिगड़ती दशा: खरगे ने लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस अध्यक्ष ने यात्री सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया कि 2014 से 2023 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 21 लाख से अधिक लोगों की मौतें हुईं। खरगे ने आरोप लगाया कि अब रेल यात्रा बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रही, बल्कि यह जीवन के साथ एक जुआ बन गई है।
उन्होंने ‘कवच’ सुरक्षा प्रणाली के कार्यान्वयन की भी कड़ी आलोचना की। खरगे ने अपने पोस्ट में कहा कि कवच प्रणाली 3 प्रतिशत से भी कम रेलवे मार्गों और 1 प्रतिशत से भी कम इंजनों को कवर करती है। यह केवल बड़े-बड़े भाषणों में मौजूद एक सुरक्षा प्रणाली बनकर रह गई है। नौकरियों की स्थिति पर बोलते हुए, खरगे ने बताया कि रेलवे में 3.1 लाख से अधिक रिक्तियां हैं, जो व्यवस्था को भीतर से खोखला कर रही हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। युवा स्थायी नियुक्तियों का इंतजार कर रहे हैं, जबकि संविदात्मक नियुक्तियों में वृद्धि हो रही है, जिससे उनके भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है। आम आदमी पर इस लगातार बढ़ते रेल किराए का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।
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## प्रचार पर जोर, प्रदर्शन से किनारा: वित्तीय कुप्रबंधन और झूठे वादे
संसदीय समितियों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए, खरगे ने प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास निधि के कम उपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि 2023-24 में इस निधि का केवल 42 प्रतिशत और दिसंबर 2024-25 तक 68 प्रतिशत ही उपयोग किया जा सका है। उन्होंने यह भी कहा कि लोको पायलटों को बुनियादी अवकाश भी नहीं दिए जा रहे हैं।
खरगे ने ‘अमृत भारत योजना’ पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 453 स्टेशनों के उन्नयन का लक्ष्य था, लेकिन अब तक केवल 1 स्टेशन का ही उन्नयन किया गया है। यह विकास के नाम पर एक क्रूर मजाक है, और दिखा रहा है कि कैसे प्रचार को प्रदर्शन पर तरजीह दी जा रही है।
उन्होंने वित्तीय कुप्रबंधन का भी आरोप लगाया। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, उन्होंने 2,604 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही। इसके साथ ही, वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें वापस ले ली गईं, जिससे बुजुर्ग यात्रियों से 8,913 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हुआ। यह दर्शाता है कि आम जनता और विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों पर लगातार आर्थिक बोझ डाला जा रहा है, जबकि रेलवे को भारी घाटा हो रहा है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
तेज गति की ट्रेनों के दावों पर भी खरगे ने प्रश्नचिह्न लगाया। उन्होंने कहा कि ‘वंदे भारत’ ट्रेनें औसतन 76 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं, जो कि 160 किमी प्रति घंटे की दावा की गई गति से काफी कम है। उन्होंने कटाक्ष किया कि रेलवे में रीलें शूट की जा रही हैं और एटीएम को बढ़ावा दिया जा रहा है, लेकिन वास्तविक सुधारों पर कोई ध्यान नहीं है।




