Delhi Air Pollution: दिल्ली की सांसों पर हर साल मंडराता है जहरीले धुएं का साया, जो सिर्फ मौसम का मिजाज नहीं, बल्कि इंसानी लापरवाही और अनियोजित विकास का नतीजा है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस गंभीर संकट के मूल कारणों पर विस्तृत जानकारी दी है।
दिल्ली एयर पॉल्यूशन: संकट के मुख्य कारक और मंत्री का आकलन
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली की हवा में घुली यह ज़हर मुख्य रूप से दो प्रमुख तत्वों – पीएम2.5 और पीएम10 के कारण है, जिसमें वाहनों की बढ़ती संख्या, औद्योगिक इकाइयां, निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और प्रतिकूल मौसमी स्थितियां एक जटिल भूमिका निभाती हैं। उन्होंने बताया कि औद्योगिक गतिविधियों, वाहनों से निकलने वाले धुएं और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण ओजोन, सीसा, कार्बन और सल्फर युक्त सूक्ष्म कण हवा में प्रवेश करते हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन बढ़ने के कारण पीएम2.5 प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।
यादव ने आगे समझाया कि पीएम10 में धूल और इसके बड़े कण शामिल होते हैं। जब ये सभी प्रदूषक एक साथ मिल जाते हैं और मौसमी परिस्थितियाँ बिगड़ती हैं, तो स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। विशेष रूप से तब, जब हवा चलना बंद हो जाती है और प्रदूषक लगातार हवा में जमे रहते हैं। उन्होंने यातायात प्रबंधन के महत्व पर भी जोर दिया, यह रेखांकित करते हुए कि भीड़भाड़ वाहनों का प्रदूषण कई गुना बढ़ा देती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उन्होंने कहा, “हमने स्मार्ट ट्रैफिक मैनेजमेंट पर विशेष बल दिया है।” लगभग 60 ऐसे प्रमुख स्थान हैं जहां भीषण ट्रैफिक जाम की समस्या बनी रहती है। सुबह 8 से 10 बजे और शाम 4 से 7 बजे के बीच, जब कोहरा और धुंध भी अधिक होती है, ऐसे व्यस्त समय में हजारों वाहन लंबी कतारों में खड़े रहते हैं, जिससे प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ता है।
मौसम का मिजाज और प्रदूषण का खेल
भूपेंद्र यादव ने यह भी उल्लेख किया कि हालांकि कई दिनों से वायु गुणवत्ता में कुछ सुधार देखा गया है, लेकिन दिसंबर माह के दौरान प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियाँ निरंतर चुनौतियाँ पेश करती रहती हैं। उन्होंने बताया कि इस अवधि में पश्चिमी विक्षोभ कभी-कभी वर्षा का कारण बनते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में तात्कालिक सुधार होता है। हालांकि, जब ये मौसमी प्रणालियां बिना वर्षा के गुजर जाती हैं, तो हवा की गति कम हो जाती है, जिससे पीएम 2.5 और पीएम 10 जैसे कण हवा में निलंबित रहते हैं और वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आती है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकार के कड़े कदम
बिगड़ती वायु गुणवत्ता के जवाब में, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने दिल्ली-एनसीआर में चरण-IV श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (जीआरएपी) के तहत सभी आवश्यक उपाय लागू कर दिए हैं। जीआरएपी-IV के तहत लगाए गए प्रतिबंधों में गैर-आवश्यक निर्माण गतिविधियों पर पूरी तरह से रोक, कुछ डीजल वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी और प्रदूषण के अन्य स्रोतों को नियंत्रित करने के लिए कड़े प्रवर्तन अभियान शामिल हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। सरकार ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन पर भी अपना अभियान तेज कर दिया है, जिसके तहत पिछले चार दिनों में दिल्ली भर में प्रवर्तन अभियान तेज करते हुए 1 लाख से अधिक पीयूसीसी (प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र) जारी किए गए हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस, परिवहन विभाग (प्रवर्तन) और एएनपीआर-आधारित टीमों द्वारा की गई बहु-एजेंसी जांच के परिणामस्वरूप वैध पीयूसीसी के बिना चलने वाले वाहनों और जीआरएपी उल्लंघनों के लिए बड़ी संख्या में चालान भी जारी किए गए हैं।




