मई,19,2024
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आखिर सीएम नीतीश कुमार क्यों नहीं गए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में? क्या कहा द्रौपदी मुर्मू ने…मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण के बाद समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना उनकी व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मगर, इस मौके पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मौजूदगी नहीं होना, चर्चा और राजनीतिक गलियारों में गरमी का अहसास करा रहा है।

शपथ ग्रहण में पीएम मोदी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संसद सदस्य सैन्य अधिकारी समारोह में शामिल हुए. हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री सीएम नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। इसको लेकर सियासी गालियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। अब जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इसपर बड़ी बात कह दी है। हालांकि, यह उनकी ओर से सफाई है, मगर अंदाज में तल्खी भी है।

संसद भवन के सेंट्रल हॉल में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया गया। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), गृहमंत्री अमि‍त शाह (Home Minister Amit Shah), लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला समेत केंद्रीय मंत्री व राज्‍यों के सीएम मौजूद रहे। लेकिन एनडीए की सहयोगी पार्टी के नेता और बिहार के मुख्‍यमंत्री इसमें नहीं दिखे।

इसपर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हर कार्यक्रम में हर व्‍यक्ति जाए, यह कोई जरूरी नहीं है। इसपर सवाल उठाना बेकार है। राष्‍ट्रपति का चयन तो हो ही गया था। बस शपथ ग्रहण की औपचारिकता थी। औपचारिक कार्यक्रम में जाना ज्‍यादा जरूरी था या यहां रहना, यह तो सीएम तय करते हैं। लेकिन इसके कोई मायने नहीं निकाले जाने चाहिए।

नीतीश कुमार के दिल्‍ली में आयोजित शपथ ग्रहण में शामिल नहीं होने की बात पहले से तय थी। जदयू की तरफ से कहा गया था कि मनरेगा के एक कार्यक्रम की वजह से वे शपथ ग्रहण कार्यक्रम में हिस्‍सा नहीं लेंगे। मालूम हो कि इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई सीएम की बैठक में भी नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए थे। निवर्तमान राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद की विदाई के लिए आयोजित रात्रिभोज में भी नहीं गए थे।

जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हर कार्यक्रम में प्रत्येक व्यक्ति शामिल हो, इसकी जरूरत नहीं होती है। राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो गया है, शपथ ग्रहण तो एक मात्र औपचारिकता होती है। यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए तो इसपर बहुत गौर करने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री को बहुत सारा काम रहता है, इसीलिए वो शपथ ग्रहण में शामिल होने नहीं जा पाए।

इससे पहले भी उपेंद्र कुशवाहा और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के बीच कुछ हुआ। फुलवारी शरीफ मामले पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा था कि बिहार आतंक का नया गड्ढ़ बन गया है। इसपर उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संजय जी को यदि इस प्रकार की जानकारी है, तो मुख्यमंत्री को शेयर करें। जिस तरह से बयान दे रहे हैं, ऐसा लगता है कि उसको बहुत बात की जानकारी है, जिसको वो छुपा रहे हैं। ऐसे में उन्हीं पर आरोप लग सकता है। वैसे, दावा यही है, एनडीए में सबकुछ ठीक ठाक है।

खैर, पढ़िए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने आगे क्या कहा और कैसा रहा शपथ ग्रहण समारोह
द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय सभागार में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना उन्हें 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति मुर्मू ने हिन्दी में शपथ लेने के बाद पुस्तिका में हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेने के बाद पहली बार संसद को संबोधित करते हुए कि राष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव करोड़ों भारतीयों के विश्वास का प्रतिबिंब है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।

राष्ट्रपति ने देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐतिहासिक समय में जब भारत अगले 25 वर्षों के विजन को हासिल करने के लिए पूरी ऊर्जा से जुटा हुआ है, मुझे ये जिम्मेदारी मिलना मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है।

समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, मंत्रिपरिषद के सदस्य, राज्यपालगण, मुख्यमंत्रीगण, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, संसद सदस्यगण, सैन्य अधिकारी और गण्यमान्य अतिथि उपस्थित रहे।आखिर सीएम नीतीश कुमार क्यों नहीं गए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में? क्या कहा द्रौपदी मुर्मू ने...मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउराष्ट्रपति ने कहा,’ भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है।’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी। और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा-‘मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है।सबका प्रयास और सबका कर्तव्य के आधार पर होगा काम। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिंदुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है। इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों पर आगे बढ़ेगा- सबका प्रयास और सबका कर्तव्य।’

उन्होंने कहा -‘कल यनी 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस भी है। ये दिन, भारत की सेनाओं के शौर्य और संयम दोनों का ही प्रतीक है। मैं आज, देश की सेनाओं को तथा देश के समस्त नागरिकों को कारगिल विजय दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं देती हूं।’

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा- ‘मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। मैं जनजातीय समाज से हूं और वार्ड काउंसलर से लेकर भारत की राष्ट्रपति बनने तक का अवसर मुझे मिला है। यह लोकतंत्र की जननी भारतवर्ष की महानता है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।’

देश की प्रथम नागरिक मुर्मू ने कहा -‘राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। मेरे इस निर्वाचन में पुरानी लीक से हटकर नए रास्तों पर चलने वाले भारत के आज के युवाओं का साहस भी शामिल है। ऐसे प्रगतिशील भारत का नेतृत्व करते हुए आज मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हूं।’

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा-‘संविधान के आलोक में मैं पूरी निष्ठा से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करूंगी। मेरे लिए भारत के लोकतांत्रिक-सांस्कृतिक आदर्श और सभी देशवासी हमेशा मेरी ऊर्जा के स्रोत रहेंगे। अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस, नेहरू जी, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चन्द्रशेखर आजाद जैसे अनगिनत स्वाधीनता सेनानियों ने हमें राष्ट्र के स्वाभिमान को सर्वोपरि रखने की शिक्षा दी थी। रानी लक्ष्मीबाई, रानी वेलु नचियार, रानी गाइदिन्ल्यू और रानी चेन्नम्मा जैसी अनेकों वीरांगनाओं ने राष्ट्र रक्षा और राष्ट्र निर्माण में नारी शक्ति की भूमिका को नई ऊंचाई दी थी।’
आखिर सीएम नीतीश कुमार क्यों नहीं गए राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में? क्या कहा द्रौपदी मुर्मू ने...मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउउन्होंने कहा-‘मैं अपने देश के युवाओं से कहना चाहती हूं कि आप न केवल अपने भविष्य का निर्माण कर रहे हैं बल्कि भविष्य के भारत की नींव भी रख रहे हैं। देश के राष्ट्रपति के तौर पर मेरा हमेशा आपको पूरा सहयोग रहेगा। मेरा जन्म तो उस जनजातीय परंपरा में हुआ है जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति के साथ तालमेल बनाकर जीवन को आगे बढ़ाया है। मैंने जंगल और जलाशयों के महत्व को अपने जीवन में महसूस किया है। हम प्रकृति से जरूरी संसाधन लेते हैं और उतनी ही श्रद्धा से प्रकृति की सेवा भी करते हैं। मैंने अपने अब तक के जीवन में जनसेवा में ही जीवन की सार्थकता को अनुभव किया है। जगन्नाथ क्षेत्र के एक प्रख्यात कवि भीम भोई जी की कविता की एक पंक्ति है। “मो जीवन पछे नर्के पड़ी थाउ, जगत उद्धार हेउ”। अर्थात, अपने जीवन के हित-अहित से बड़ा जगत कल्याण के लिए कार्य करना होता है।’

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