Goa Nightclub Fire: कभी-कभी नियति का चक्र ऐसा घूमता है कि सुख-सुविधाओं का आशियाना भी काल का ग्रास बन जाता है और फिर कानून की चौखट पर न्याय की गुहार लगाना भी व्यर्थ हो जाता है। दिल्ली की एक अदालत ने गोवा के उस भयावह नाइटक्लब अग्निकांड के मामले में दो आरोपियों को राहत देने से इनकार कर दिया, जिसमें 25 जिंदगियां असमय काल के गाल में समा गईं।
Goa Nightclub Fire: लूथरा बंधुओं को नहीं मिली राहत
Goa Nightclub Fire: दिल्ली की एक अदालत ने गोवा के नाइटक्लब में लगी आग के उस भयावह मामले में लूथरा बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है, जिसमें कम से कम 25 लोगों की मौत हो गई थी। रोहिणी कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वंदना ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। 6 दिसंबर की रात नाइटक्लब में आग लगने के बाद लूथरा बंधु थाईलैंड भाग गए थे। गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने थाईलैंड से दिल्ली लौटने के तुरंत बाद चार सप्ताह की अग्रिम जमानत मांगी थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वंदना ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, और अब यह स्पष्ट हो गया है कि उन्हें कोई राहत नहीं मिली है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। बिहार की लगातार ख़बरें यहां पढ़ें
थाईलैंड से लौटे, मांगी थी राहत
आवेदकों के वकीलों ने अदालत में दलील दी कि वे तुरंत वापस लौटने और जांच का सामना करने के लिए तैयार हैं, और अदालत से आग्रह किया कि उन्हें शुरुआत में ही दंडित न किया जाए। वकील ने अदालत को यह भी बताया कि बंधुओं ने जल्द से जल्द दिल्ली की अदालत से संपर्क किया है और बिना देरी किए जांच में पूरा सहयोग करने का आश्वासन देते हैं। उन्होंने यहां तक कहा, “अगर मैं आज रात भारत पहुंचता हूं और जांच अधिकारी (IO) मुझे आधी रात को पेश होने के लिए कहता है, तो मैं वहां मौजूद रहूंगा।”
बचाव पक्ष और गोवा सरकार की दलीलें
वकील ने इस बात पर जोर दिया कि ट्रांजिट बेल योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि सही अदालत तक सुरक्षित पहुँच सुनिश्चित करने के लिए एक सीमित सुरक्षा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला भी दिया, जिसमें विदेश में मौजूद ऐसे आरोपी को, जिसके खिलाफ ब्लू और रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने की योजना थी, अस्थायी सुरक्षा के साथ भारत लौटने की अनुमति दी गई थी। उनका तर्क था, “मैं केवल कुछ दिनों के लिए सुरक्षा चाहता हूँ ताकि मैं सुरक्षित रूप से अदालत पहुँच सकूँ।” आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। उन्होंने आगे कहा, “जब कोई नागरिक कानून का पालन करने को तैयार हो, तो अदालत को मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए, न कि सख्ती बरतनी चाहिए।” हालांकि, याचिका का पुरजोर विरोध करते हुए, गोवा राज्य के वकील ने तर्क दिया कि लूथरा बंधुओं ने आग लगने के तुरंत बाद गोवा छोड़ दिया था और वे जानबूझकर कानूनी प्रक्रिया से बच रहे थे। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। यह एक गंभीर मामला है जहां अग्रिम जमानत देने से न्याय की प्रक्रिया बाधित हो सकती है। लूथरा बंधुओं का यह कृत्य स्पष्ट रूप से कानून से भागने का प्रयास था।


