Naxalism News: सदियों से एक काली छाया की तरह देश के कुछ हिस्सों को अपनी गिरफ्त में लिए हुए नक्सलवाद को अब जड़ से उखाड़ फेंकने का सरकारी संकल्प दृढ़ होता दिख रहा है। केंद्र सरकार ने इस खतरे को मार्च 2026 तक पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है।
Naxalism News: इसी रणनीति के तहत, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), जो वामपंथी उग्रवाद का मुकाबला करने वाली प्रमुख ताकतों में से एक है, ने 2019 से अब तक छह प्रमुख नक्सल प्रभावित राज्यों में कुल 229 अग्रिम परिचालन अड्डे (FOB) स्थापित किए हैं। ये एफओबी नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद (LWE) का मुकाबला करने के लिए सरकार की सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) द्वारा ये अड्डे दूरदराज के, घने वन क्षेत्रों और उग्रवाद-प्रवण इलाकों में स्थापित किए गए हैं, जिन्हें एक समय नक्सलियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था। इन एफओबी की स्थापना के बाद, इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की पहुंच बढ़ी है और नक्सलियों की गतिविधियों पर अंकुश लगा है। यह नक्सल विरोधी अभियान में एक महत्वपूर्ण कदम है। कुल 229 अग्रिम परिचालन अड्डों में से, इस वर्ष अब तक सबसे अधिक 59 स्थापित किए गए हैं। इसके बाद 2024 में 40, 2023 में 27, 2022 में 48, 2021 में 29, 2020 में 18 और 2019 में आठ अड्डे स्थापित किए गए थे।
नक्सलवाद समाचार: सुरक्षा घेरा मजबूत करने की रणनीति
ये महत्वपूर्ण एफओबी छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड और तेलंगाना जैसे राज्यों में स्थापित किए गए हैं। इस वर्ष स्थापित 59 एफओबी में से, छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक 32 अड्डे बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त, झारखंड और मध्य प्रदेश में नौ-नौ, महाराष्ट्र और ओडिशा में चार-चार, तथा तेलंगाना में एक नया बेस स्थापित किया गया है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। संसद के हाल ही में समाप्त हुए शीतकालीन सत्र में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जानकारी दी कि नक्सल प्रभावित राज्यों में तैनात सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों द्वारा 2019 से अब तक कुल 377 सुरक्षा चौकियां (FOB) स्थापित की गई हैं। इन आंकड़ों में 2025 में 74, 2024 में 71, 2023 में 51, 2022 में 66, 2021 में 51, 2020 में 40 और 2019 में 24 चौकियां शामिल हैं।
आंतरिक क्षेत्रों तक पहुंच और नक्सलियों को बेदखल करने की रणनीति
इन अग्रिम परिचालन अड्डों का प्राथमिक उद्देश्य राज्य की पहुंच को आंतरिक और दुर्गम क्षेत्रों तक बढ़ाना है, ताकि नक्सलियों को उनके सुरक्षित ठिकानों से वंचित किया जा सके और इन क्षेत्रों पर निरंतर प्रभुत्व स्थापित किया जा सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। अस्थायी शिविरों के विपरीत, ये सुरक्षा चौकियां अर्ध-स्थायी या स्थायी संरचनाएं होती हैं जिनमें आवास, संचार प्रणाली, चिकित्सा सुविधाएं और पर्याप्त रसद सहायता उपलब्ध होती है। यह व्यवस्था सुरक्षा बलों को लंबे समय तक इन सुदूर और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में तैनात रहने में सक्षम बनाती है, जिससे प्रभावी नक्सल विरोधी अभियान सुनिश्चित होता है। सुरक्षा बलों की इन अड्डों पर मौजूदगी से स्थानीय आबादी में भी विश्वास बढ़ रहा है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह कदम सरकार की उस समग्र योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह नक्सलवाद को देश से हमेशा के लिए खत्म करने को प्रतिबद्ध है। इन एफओबी के माध्यम से, सरकार न केवल सुरक्षा बल्कि विकास कार्यों को भी गति दे रही है, जिससे स्थानीय लोगों का जीवन बेहतर हो सके। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इन प्रयासों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और स्थिरता की एक नई सुबह आ रही है।




