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दिसम्बर, 25, 2025

भारत का न्यूक्लियर अस्त्र: K-4 मिसाइल का सफल India Missile Test, दुश्मनों में हड़कंप

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India Missile Test: समुद्र की गहराइयों से निकला भारत का अचूक प्रहार, जिसने दुश्मन के हर मंसूबे को पल भर में ध्वस्त करने का संकेत दे दिया है। भारत ने अपनी समुद्री शक्ति का प्रदर्शन करते हुए एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी धाक जमाई है।

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भारत का न्यूक्लियर अस्त्र: K-4 मिसाइल का सफल India Missile Test, दुश्मनों में हड़कंप

K-4 मिसाइल: क्या है इस India Missile Test की खासियत?

बंगाल की खाड़ी में मंगलवार को हुए एक सफल परीक्षण ने भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है। भारतीय नौसेना ने अपनी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघाट से K-4 इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का कामयाब परीक्षण किया। यह परीक्षण दुश्मनों के खेमे में निश्चित रूप से हलचल पैदा करने वाला है और भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करता है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

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यह अत्याधुनिक मिसाइल 3,500 किलोमीटर की दूरी तक अपने लक्ष्य को भेदने में पूरी तरह से सक्षम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह लगभग 2.5 टन वजनी परमाणु हथियार आसानी से ले जा सकती है। इसे विशेष रूप से भारत की अरिहंत-क्लास पनडुब्बियों से लॉन्च करने के लिए ही डिजाइन किया गया है, जो इसे और भी रणनीतिक महत्व प्रदान करता है।

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यह भी पढ़ें:  India Bangladesh Relations: बांग्लादेश में हिंसा के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ती तल्खी, क्या टूटेगा दशकों का भरोसा?

इस सफल परीक्षण से भारत का ‘न्यूक्लियर ट्रायड’ (जमीन, हवा और पानी से परमाणु हमला करने की क्षमता) और भी घातक हो गया है। आईएनएस अरिघाट जैसी बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां समुद्र की गहराइयों में छिपकर ‘डिटेरेंस पेट्रोल’ करती हैं, जो भारत को ‘सेकंड स्ट्राइक’ की बेजोड़ क्षमता प्रदान करती हैं। यह क्षमता किसी भी दुश्मन को परमाणु हमले से पहले सोचने पर मजबूर कर देती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।

डॉ. कलाम को समर्पित ‘के’ सीरीज: मिसाइल मैन की विरासत

‘के’ सीरीज की मिसाइलों का नामकरण भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में किया गया है। उन्हें ‘मिसाइल मैन’ के नाम से जाना जाता है और उन्होंने भारत के मिसाइल कार्यक्रम की नींव रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनकी दूरदर्शिता और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि आज भारत मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बन रहा है।

तकनीकी रूप से K-4 मिसाइल को जमीन से मार करने वाली अग्नि-III मिसाइल के आधार पर ही विकसित किया गया है। इसे समुद्र की सतह के नीचे से लॉन्च करने के लिए विशेष रूप से संशोधित किया गया है, ताकि यह पानी से बाहर आते ही हवा में अपने रॉकेट मोटर को सक्रिय कर सके। यह इसे एक गुप्त और प्रभावी बैलिस्टिक मिसाइल बनाती है, जो दुश्मन के लिए अप्रत्याशित साबित हो सकती है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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