West Bengal Elections: चुनावी रणभेरी बजने से पहले ही सियासी पारा चढ़ने लगा है, जहाँ आरोप-प्रत्यारोप की चिंगारी आग में बदल रही है। इस सियासी घमासान में, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर मतदाताओं के नाम रद्द कराने का गंभीर आरोप लगाया है।
West Bengal Elections: ममता का आरोप, भाजपा 1.5 करोड़ मतदाताओं के नाम रद्द करवाना चाहती है
पश्चिम बंगाल चुनाव: भाजपा पर मतदाताओं को हटाने की साजिश का आरोप
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को भाजपा पर सीधा हमला बोला, आरोप लगाया कि भगवा दल राज्य में करीब डेढ़ करोड़ मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की कोशिश कर रहा है। ये आरोप उन्होंने नेताजी इंडोर स्टेडियम में तृणमूल कांग्रेस के बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता करते हुए लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा राज्य में बाहर से लोगों को लाकर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करना चाहती है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
बनर्जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘भाजपा डेढ़ करोड़ मतदाताओं के नाम रद्द करवाना चाहती है। वे सीधे तौर पर लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।’ उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने बर्दवान में बिहार पंजीकरण वाली 50 मोटरसाइकिलें देखीं, जो बाहरी लोगों को चुनाव के लिए यहां लाने के प्रयास का हिस्सा हो सकती हैं। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि वे विधायकों, पार्षदों और ब्लॉक अध्यक्षों से चुनाव प्रचार के संबंध में सलाह लें। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा किए गए परिसीमन मानचित्रण को ‘सरासर गलत’ बताया और 2002 के बाद हुए परिसीमन पर सवाल उठाया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग 46 मौतों के लिए जिम्मेदार है और 2002 तथा वर्तमान मतदाता सूची के EPIC नंबरों में कोई मेल नहीं है। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
चुनाव आयोग और मतदाता सूची पर उठे सवाल
पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) के बाद, चुनाव आयोग ने 16 दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची जारी की। इस सूची में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए, जहाँ 58,20,899 मतदाताओं (कुल का 7.59 प्रतिशत) को मृत्यु, लापता होने या स्थायी पलायन के कारण सूची से हटा दिया गया। चुनाव आयोग की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, कुल 7,66,37,529 मतदाताओं में से 7,08,16,630 मतदाताओं ने 11 दिसंबर तक अपने गणना प्रपत्र जमा कर दिए थे। यह एक बड़ी संख्या है और सवाल खड़े करती है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
चुनाव आयोग ने हालांकि यह स्पष्ट किया है कि 16 दिसंबर से 15 जनवरी, 2026 तक दावा और आपत्ति अवधि के दौरान वास्तविक मतदाताओं को मतदाता सूची में फिर से शामिल किया जा सकता है। इससे पहले भी ममता बनर्जी ने SIR प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे, उनका आरोप था कि चुनाव से कुछ महीने पहले शुरू की गई यह प्रक्रिया राज्य सरकार को अस्थिर करने के उद्देश्य से की जा रही है। उन्होंने मृतकों के परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और अस्पताल में भर्ती लोगों के लिए 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा। बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र जानबूझकर पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल जैसे गैर-भाजपा शासित राज्यों में ही चुनिंदा रूप से SIR को लागू कर रहा है। यह राजनीति का एक नया तरीका है, आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।





