दिल्ली न्यूज़: संसद का गलियारा अचानक सियासी अखाड़ा बन गया! लोकसभा में ‘वोट चोरी’ के एक आरोप ने ऐसा हंगामा मचाया कि गृह मंत्री और विपक्ष के बड़े नेता आमने-सामने आ गए। क्या था वो आरोप, और क्यों गरमाई इस पर बहस? आइए जानते हैं…
लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चल रही बहस के दौरान बुधवार और गुरुवार को जमकर सियासी पारा चढ़ा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बीच ‘वोट चोरी’ के आरोपों को लेकर तीखी नोकझोंक देखने को मिली। इस दौरान सदन का माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।
विवाद की जड़: शाह का ‘वोट चोरी’ का आरोप और गांधी का पलटवार
राहुल गांधी ने गृह मंत्री अमित शाह पर हमला जारी रखते हुए कहा कि शाह उनके किसी भी सवाल का सीधा जवाब नहीं दे पाए। राहुल ने दावा किया कि बुधवार को अमित शाह काफी घबराए हुए दिख रहे थे। उन्होंने गलत भाषा का इस्तेमाल किया, उनके हाथ कांप रहे थे, और वे अत्यधिक मानसिक दबाव में थे। यह सब सदन में मौजूद हर किसी ने देखा। राहुल गांधी ने अमित शाह को चुनौती दी कि वे मैदान में आकर संसद में उनकी सभी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा करें, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
इस बीच, कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने अमित शाह के उस दावे का खंडन किया, जिसमें उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के समय में ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया था। शिवकुमार ने कहा कि अमित शाह को इस विषय की बुनियादी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया कि उस समय मतपत्रों (बैलेट पेपर) का इस्तेमाल होता था, ऐसे में वोटों की चोरी या हेराफेरी संभव ही नहीं थी। यह आरोप पूरी तरह निराधार है।
शाह का बचाव और विपक्ष पर दोहरे मापदंड का आरोप
अमित शाह ने लोकसभा में अपने भाषण के दौरान कांग्रेस पार्टी की कड़ी आलोचना की। उन्होंने मतदाता सूचियों के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) का भी बचाव किया, जिसे उन्होंने मतदाता सूचियों को “शुद्ध” करने की एक आवश्यक प्रक्रिया बताया। शाह ने विपक्ष पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जब वे जीतते हैं तो चुनाव आयोग की तारीफ करते हैं, और जब हारते हैं तो उसकी आलोचना करने लगते हैं।
सदन में बढ़ते तनाव के बीच, अमित शाह के जवाब के दौरान विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा को स्थगित करना पड़ा। यह टकराव चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतंत्र की शुचिता पर गहरे मतभेदों को उजागर करता है।


