पटना न्यूज़: एक पूर्व जेल डीआईजी, जिसकी ज़िंदगी ऐशो-आराम से भरी थी, अचानक ईडी के रडार पर आ गया। सवाल है, आखिर कहां से आई एक सरकारी अफ़सर के पास करोड़ों की यह ‘संदिग्ध’ दौलत? जानें इस बड़े खुलासे की पूरी कहानी…
करोड़ों की संपत्ति पर ईडी की नज़र
पटना में एक बार फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा एक्शन देखने को मिला है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व जेल डीआईजी शिवेंद्र प्रियदर्शी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है, जिसमें उनकी 1.52 करोड़ रुपये से अधिक की ‘संदिग्ध’ संपत्तियों को ज़ब्त कर लिया गया है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की गई है, जो दिखाता है कि ईडी ऐसे मामलों में कितनी सक्रिय है।
ईडी अधिकारियों के अनुसार, प्रियदर्शी के खिलाफ यह कार्रवाई पुख्ता सबूतों के आधार पर की गई है। जब्त की गई संपत्तियों का कुल मूल्य 1 करोड़ 52 लाख 43 हज़ार 582 रुपये बताया गया है। इन संपत्तियों को धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत जब्त किया गया है।
कौन हैं शिवेंद्र प्रियदर्शी?
शिवेंद्र प्रियदर्शी बिहार में एक समय में जेल विभाग के महत्वपूर्ण पद पर तैनात थे, जहाँ उन्होंने उप महानिरीक्षक (डीआईजी) के रूप में कार्य किया। उनके कार्यकाल के दौरान उनकी आय से अधिक संपत्ति को लेकर कई सवाल उठते रहे थे। ईडी की जांच में उनकी ‘संदिग्ध’ आर्थिक गतिविधियों का खुलासा हुआ है।
PMLA के तहत कार्रवाई क्यों?
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) एक ऐसा कानून है जिसका उद्देश्य अवैध रूप से अर्जित धन को वैध बनाने से रोकना है। इस अधिनियम के तहत, अधिकारियों को उन संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होता है जो अपराध की आय से खरीदी गई हों या उनसे जुड़ी हों। प्रियदर्शी के मामले में, ईडी का मानना है कि जब्त की गई संपत्तियां अवैध तरीकों से जुटाई गई थीं।
भ्रष्टाचार पर नकेल कसने का संदेश
यह कार्रवाई बिहार में भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जा रही है। ईडी की इस कार्रवाई से सरकारी महकमों में बैठे उन अधिकारियों को एक कड़ा संदेश गया है जो अपनी पद का दुरुपयोग कर अवैध संपत्ति अर्जित करने में लगे हैं। आने वाले समय में ऐसे और भी खुलासे होने की उम्मीद है।


