प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा में चूक पर सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में एक कमेटी के गठन की बात कही है। कमेटी के सदस्यों के नाम आदेश के अपलोड होने के बाद स्पष्ट होंगे।
जय बाबा केदार..!
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CJI एम वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा कि अगर केंद्र पहले से कारण नोटिस में सब कुछ मान रहे हैं तो कोर्ट में आने का क्या मतलब है?
आपका कारण बताओ नोटिस पूरी तरह से विरोधाभासी है। समिति गठित करके आप पूछताछ करना चाहते हैं कि क्या SPG अधिनियम का उल्लंघन हुआ है? फिर आप राज्य के मुख्य सचिव और डीजी को दोषी मानते हैं। किसने उन्हें दोषी ठहराया? उन्हें किसने सुना?
आपका नोटिस अपने आप में विरोधाभासी – कोर्ट
कोर्ट ने कहा, जब आपने नोटिस जारी किया तो यह हमारे आदेश से पहले था। उसके बाद हमने अपना आदेश पारित किया। आप उनसे 24 घंटे में जवाब देने के लिए कह रहे हैं, यह आपसे अपेक्षित नहीं है। आप तो पूरा मन बना कर आए हैं।
आपकी दलीलें बताती हैं कि आप सब कुछ पहले ही तय कर चुके हैं। तो फिर यहां इस कोर्ट में क्यों आए हैं? आपका नोटिस अपने आप में विरोधाभासी है। क्योंकि हमने सबको मना किया था किसी भी तरह का एक्शन लेने से. एक ओर SSP को नोटिस भेज रहे हैं और यहां उनको दोषी भी बता रहे हैं।
ये क्या है? जांच के बाद हो सकता है आपकी बातें सच हों। लेकिन अभी आप यह सब कैसे कह सकते हैं? जब आप अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की शुरुआत कर चुके हैं तो अब केंद्र सरकार हमसे कैसा आदेश चाहती है?
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने आज ही हमें रिपोर्ट दी है। याचिकाकर्ता के वकील मनिंदर सिंह ने कहा था तो आप कल या परसों सुनवाई कीजिए, ताकि आप रिपोर्ट देख लें। हम भी दलीलें रख सकें। तब सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रजिस्ट्रार जनरल को सिर्फ रिकॉर्ड सुरक्षित रखने थे। पंजाब के वकील डीएस पटवालिया ने कहा कि हमारी कमेटी पर निराधार सवाल उठाए गए।
पटवालिया ने कहा कि हमारे अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। चीफ सेक्रेट्री से कहा जा रहा है कि उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन नहीं किया। हम चाहते हैं कोर्ट पूरा मामला देखे। बिना जांच के हमें दोषी ठहराया जा रहा है। पटवालिया ने कहा कि मुख्य सचिव को अपने खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर जवाब देने के लिए 24 घंटे दिए गए। हम पीएम की सुरक्षा को लेकर गंभीर हैं। कोर्ट देखे कि बिना जांच हम पर कार्रवाई न हो। इस पर चीफ जस्टिस ने केंद्र से पूछा कि नोटिस हमारे आदेश से पहले जारी हुआ या बाद में। तब तुषार मेहता ने कहा कि पहले जारी हुआ था।
मेहता ने कहा था जो नोटिस चीफ सेक्रेट्री और डीजीपी को जारी हुआ उसका कानूनी आधार है। मेहता ने एसपीजी रूल बुक के प्रावधान पढ़ते हुए कहा कि सड़क के बारे में सही जानकारी देना डीजीपी का काम था। सड़क ब्लॉक हो, तो भी एक रास्ता खुला रखना प्रशासन का काम था। मेहता ने कहा था डीजीपी और चीफ सेक्रेटरी या उनका प्रतिनिधि प्रधानमंत्री के साथ चलता है। यह सिर्फ प्रोटोकॉल नहीं है। सुरक्षा में समन्वय का हिस्सा है। जानकारी के अभाव में प्रधानमंत्री का काफिला सड़क ब्लॉक के बिल्कुल पास पहुंच गया था।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने कैबिनेट सेक्रेटरी, आईबी निदेशक और एसपीजी के आईजी की कमेटी बनाई है। यह कोई अचानक हुआ दौरा नहीं था। पंजाब के उच्चाधिकारियों को पूरी जानकारी थी। यह भी पता था कि मौसम खराब हुआ तो पीएम सड़क से भी जा सकते हैं। 4 जनवरी को इसका रिहर्सल भी हुआ था। जस्टिस हिमा कोहली ने पूछा कि अगर केंद्र ने सब तय कर दिया है तो हमारे सामने क्यों है। तब मेहता ने कहा था कोर्ट के सामने याचिकाकर्ता आया। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि याचिकाकर्ता और पंजाब सरकार निष्पक्ष जांच चाहते हैं। आप इसके आड़े क्यों आना चाह रहे हैं।
अगर आप अनुशानात्मक कार्रवाई करना चाहते हैं तो कोर्ट की तरफ से जांच कमेटी बनाने का क्या औचित्य होगा? कमिटी क्या काम करेगी? मेहता ने कहा था हमारा नोटिस नियमों के मुताबिक था। कोर्ट हमारी रिपोर्ट की समीक्षा करे। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि फिर तो पंजाब की कमेटी को भी काम करने देते हैं। तब मेहता ने कहा कि पंजाब कमेटी में दिक्कतें हैं। तब चीफ जस्टिस ने कहा था हमने पीएम की सुरक्षा से जुड़े इस मसले को गंभीरता से लिया है। तब मेहता ने कहा कि बेशक। उन्होंने कहा कि मेरा सुझाव है कि केंद्र की कमेटी को काम करने दिया जाए। हम रिपोर्ट कोर्ट के सामने रखेंगे। तब तक कार्रवाई नहीं होगी।
चीफ जस्टिस ने कहा था पंजाब को क्या कहना है? तब पंजाब सरकार ने कहा कि केंद्र की कमेटी में एसपीजी के आईजी हैं। बाकी भी केंद्र के प्रतिनिधि हैं। हमें इस कमेटी से कोई उम्मीद नहीं है। निष्पक्ष जांच हो। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाना चाह रहे हैं। इसमें चंडीगढ़ के डीजीपी, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, एनआईए के आईजी और आईबी के अधिकारी भी शामिल होंगे।