प्रयागराज समाचार: हर तीन साल पर लगने वाले कुंभ के लघु संस्करण, माघ मेले की छटा अनूठी होती है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के मिलन स्थल पर आस्था का ऐसा सैलाब उमड़ता है, मानो समंदर धरती पर उतर आया हो।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में साल 2026 के लिए आयोजित होने वाले माघ मेले की तैयारियां जोरों पर हैं। राज्य प्रशासन इस बार रिकॉर्ड संख्या में तीर्थयात्रियों और आगंतुकों के आने की उम्मीद कर रहा है। प्रयागराज की संभागीय आयुक्त सौम्या अग्रवाल के अनुसार, आगामी माघ मेला पिछले आयोजनों की तुलना में कहीं अधिक भव्य होगा, जिसमें अनुमानित 15 करोड़ लोगों के शामिल होने की संभावना है। यह वार्षिक धार्मिक समागम 3 जनवरी, 2026 को शुरू होकर 15 फरवरी तक चलेगा, जिसमें मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और महाशिवरात्रि जैसे कई शुभ स्नान पर्व पड़ेंगे।
माघ मेले की भव्यता और तैयारियों का विस्तार: प्रयागराज समाचार
माघ मेला पारंपरिक रूप से त्रिवेणी संगम के पवित्र तट पर आयोजित होता है, जहाँ गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु यहाँ पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं। संभागीय आयुक्त सौम्या अग्रवाल ने बताया कि इस बार संभावित भारी भीड़ को देखते हुए माघ मेले का दायरा काफी बढ़ा दिया गया है। उन्होंने कहा कि एक अतिरिक्त सेक्टर का निर्माण किया जा रहा है और पोंटून पुलों की संख्या भी सात तक बढ़ाई जाएगी। कुंभ मेले की तर्ज पर ही यातायात प्रबंधन के लिए विस्तृत आकस्मिक योजनाएँ तैयार की गई हैं। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
संभागीय आयुक्त ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि मौजूदा रुझानों और अस्थायी आबादी को भी ध्यान में रखते हुए, माघ मेला 2026 में लगभग 15 करोड़ आगंतुकों का अनुमान लगाया गया है। उन्होंने आगामी मेले के प्रमुख स्नान पर्वों की तारीखें भी साझा कीं। उन्होंने बताया, “मकर संक्रांति 15 जनवरी को है, मौनी अमावस्या 18 जनवरी को है, और इसी के साथ मेला 15 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ समाप्त होगा।”
योगी आदित्यनाथ ने भी जताई थी भारी भीड़ की संभावना
इससे पहले, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी संकेत दिया था कि आगंतुकों की अनुमानित संख्या 12 से 15 करोड़ के बीच होगी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की इतनी बड़ी संख्या को देखते हुए उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कई कल्पवासी पौष पूर्णिमा के अवसर पर जनवरी में आते हैं, और लगभग 20 से 25 लाख श्रद्धालु डेढ़ महीने तक फैले छह महत्वपूर्ण स्नान दिवसों में पवित्र डुबकी लगाने के लिए वहीं रुकते हैं। देश की हर बड़ी ख़बर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें: https://deshajtimes.com/news/national/। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।





