सुप्रिम कोर्ट ने केंद्र को कोरोना से मौत का मुआवजा पाने के लिए झूठे दावे दाखिल किए जाने के आरोपों की जांच की अनुमति दे दी है। इसके तहत आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और केरल में दाखिल हुए 5 फीसदी दावों की समीक्षा की जाएगी। कोर्ट ने 21 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च तक कोरोना से होने वाली मौत के मुआवजे का दावा करने की मियाद 60 दिन तय की है। कोर्ट ने भविष्य में होने वाली मौत का मुआवजा पाने के लिए दावा भी 90 दिन के भीतर करना होगा।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कोरोना से मौत के मामलों में मुआवजे के लिए झूठे दावों पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि जब हमने मुआवजे का आदेश दिया था, तब कल्पना भी नहीं की थी कि इसके लिए झूठे दावे भी होंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीएजी से ऑडिट कराने का सुझाव दिया था।
7 मार्च को सॉलिसीटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि सभी राज्यों में मुआवजा दिया जा रहा है, लेकिन यह समस्या भी देखने को आ रही है कि डॉक्टर नकली प्रमाणपत्र दे रहे हैं।
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4 फरवरी को कोर्ट ने कोरोना से हुई मौत पर सरकारों द्वारा दिए जाने वाली मुआवजा राशि के भुगतान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे पर राज्य सरकारों की शिथिलता पर नाराजगी जाहिर करते हुए निर्देश जारी किया था कि कोरोना से अनाथ हुए बच्चों के साथ मुआवजे के सभी विवरण एक हफ्ते के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को दें।
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