नई दिल्ली। राज्यसभा ने मंगलवार को फर्जी मतदान को रोकने के उद्देश्य से मतदाता की पहचान के लिए आधार संख्या को मतदाता सूची से जोड़ने संबंधी चुनाव कानून (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित कर दिया।
मुख्य बातें
- पीएम मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने चुनाव सुधार से जुड़े बिल को दी मंजूरी
- वोटर आईडी कार्ड को आधार से जोड़ा जाएगा, इसका फैसला स्वैच्छिक होगा
- अब साल में चार बार मिलेगा वोटर के रूप में रजिस्ट्रेशन कराने का मौका
- ड्राफ्ट कानून के अनुसार, साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा
सोमवार को लोकसभा से पारित हुए चुनाव कानून संशोधन विधेयक, 2021 को आज राज्यसभा ने भी ध्वनि मत से पारित कर दिया। विधेयक के मसौदे में कहा गया है कि मतदाता सूची में दोहराव और फर्जी मतदान रोकने के लिए मतदाता कार्ड और सूची को आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा।
नये प्रावधानों के मुताबिक अब आधार और वोटर आईडी लिंक होने से चुनाव कानून संशोधन विधेयक 2021 के मतदाता सूची तैयार करने वाले अधिकारियों को अब आधार कार्ड मांगने का अधिकार होगा।
लोकसभा से यह विधेयक सोमवार को ही पास कर चुकी है। राज्यसभा से पारित होने के साथ ही इस विधेयक पर अब संसद की मुहर लग गई है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून का रूप अख्तियार कर लेगा।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि चुनाव सुधार की दिशा में लाए गए इस विधेयक से फर्जी मतदान रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक होगा।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि आधार लिंकिंग की सुविधा इसलिए दी जा रही है ताकि लोग अलग-अलग स्थानों पर मतदाता न रहें। उनकी बायोमीट्रिक डिटेल मिल जाएगी, जिससे वे एक ही स्थान पर वोटर रह सकेंगे। इसके अलावा वोटर लिस्ट में फर्जी नामों को शामिल करने जैसे कामों पर भी रोक लग सकेगी।
विधेयक में प्रावधान है कि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने वाले व्यक्ति की पहचान के लिए संबंधित चुनाव पंजीकरण अधिकारी आधार संख्या की मांग कर सकता है। इसके साथ ही मतदाता सूची की जांच के दौरान भी मतदाता की पहचान सुनिश्चित करने के लिए आधार संख्या मांगी जा सकती है। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि किसी व्यक्ति का नाम किसी अन्य निर्वाचन क्षेत्र में पहले से ही दर्ज है या नहीं।
विधेयक में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए अब वर्ष में 4 तिथियां होंगी। अब तक यह प्रावधान था कि कोई व्यक्ति जो एक जनवरी को 18 वर्ष का हो चुका है वह मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकता है। एक जनवरी के बाद 18 वर्ष का होने वाले व्यक्ति को मतदाता बनने के लिए एक वर्ष का इंतजार करना पड़ता था। अब नए विधेयक के प्रावधान के तहत एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई और एक अक्टूबर को आयु निर्धारण की तिथियों के रूप में स्वीकार किया जाएगा।
कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि आधार को मतदाता पहचान पत्र से जोड़ना स्वैच्छिक होगा। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मतदाताओं के हितों को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने विपक्ष से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किए जाने का अनुरोध किया।
एक दिन पहले ही लोकसभा ने संक्षिप्त चर्चा के बाद निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी प्रदान की थी। विपक्ष विधेयक को संसद की स्थायी समिति में भेजने की मांग कर रहा था।
इस विधेयक में चुनाव से जुड़े विभिन्न सुधारों को शामिल किया गया है जिन पर लंबे समय से चर्चा होती रही है। सूत्रों ने कहा कि आधार नंबर नहीं दिए जाने के कारण किसी भी आवेदन को खारिज नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आधार को मतदाता सूची से जोड़ने से चुनावी आंकड़ा प्रबंधन से जुड़ी “बड़ी समस्याओं में से एक” का समाधान होगा। यह समस्या एक ही मतदाता का विभिन्न स्थानों पर नामांकन होने से संबंधित है।
इस बिल में वोटर कार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने का प्रावधान किया गया है। इससे पहले कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एआईएमआईएम, आरएसपी, बसपा जैसे दलों ने इस विधेयक को पेश किये जाने का विरोध किया। कांग्रेस ने विधेयक को विचार के लिये संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग की।
लोकसभा में विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया. इसके माध्यम से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है। विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को निराधार बताते हुए रिजिजू ने कहा कि सदस्यों ने इसका विरोध करने को लेकर जो तर्क दिये हैं, वे उच्चतम न्यायालय के फैसले को गलत तरीके से पेश करने का प्रयास है। यह शीर्ष अदालत के फैसले के अनुरूप है।
वोटर बनने का साल में चार बार मिलेगा मौका
आधार और वोटर आईडी जोड़ने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निजता के अधिकार के फैसले को ध्यान में रखा जाएगा। सरकार चुनाव आयोग को और ज्यादा अधिकार देने के लिए कदम उठाएगी। प्रस्तावित बिल देश के युवाओं को हर साल चार अलग-अलग तारीखों पर खुद को वोटर के तौर पर रजिस्टर करने की इजाजत भी देगा। यानी वोटर बनने के लिए अब साल में चार तारीखों को कटऑफ माना जाएगा। अब तक हर साल पहली जनवरी या उससे पहले 18 साल के होने वाले युवाओं को ही वोटर के तौर पर रजिस्टर किए जाने की इजाजत है।
चुनाव आयोग कर रहा था मांग
भारत निर्वाचन आयोग पात्र लोगों को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देने के लिये कई ‘कटऑफ डेट्स’ की वकालत करता रहा है। चुनाव आयोग ने सरकार को बताया था कि एक जनवरी के कटऑफ डेट के चलते वोटर लिस्ट की कवायद से कई युवा वंचित रह जाते थे। केवल एक कटऑफ डेट होने के कारण 2 जनवरी को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले व्यक्ति पंजीकरण नहीं करा पाते थे और उन्हें पंजीकरण कराने के लिये अगले वर्ष का इंतजार करना पड़ता था।
कई जगह से वोटर रजिस्ट्रेशन पर लगेगी लगाम
विधि एवं न्याय मंत्रालय ने हाल ही में संसद की एक समिति को बताया था कि उसका जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 14 बी में संशोधन का प्रस्ताव है ताकि पंजीकरण के लिये हर वर्ष चार कट आफ तिथि एक जनवरी, एक अप्रैल, एक जुलाई तथा एक अक्तूबर शामिल किया जा सके। मार्च में तत्कालीन विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया था कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से आधार प्रणाली को जोड़ने का प्रस्ताव किया है ताकि एक ही व्यक्ति के विभिन्न स्थानों से कई बार पंजीकरण कराने की बुराई पर लगाम लगाई जा सके।