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17 मार्च, 2024
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सैलरी लौटाकर सुर्खिया बटोरने वाले प्रोफेसर ललन कुमार अपने ही जाल में फंसे…अब कह रहे- हमसे भूल हो गई हमका माफ़ी दई दो

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मुजफ्फरपुर के बिहार विश्विद्यालय अन्तर्गत आने वाले नीतीश्वर महाविद्यालय के सहायक प्रो. डॉ. ललन कुमार दो दिन पूर्व तीन साल के अपने वेतन को लौटाकर सुर्खियों में आए थे। अब उनके साथ एक नया ट्विस्ट हो गया है।

देशभर में एक भी छात्र को नहीं पढ़ा पाने का हवाला देकर वेतन के 23.82 लाख रुपये विवि को लौटा कर सुर्खियां बटोरने वाले डॉ. ललन कुमार अब अपने ही घोषणा के जाल में फंसते दिख रहे हैं। जिस अकाउंट नंबर का चेक उन्होंने विवि को दिया था, उसमें सिर्फ 970.95 रुपये ही हैं। इसके साथ ही, इस मामले में विश्वविवद्यालय की ओर से प्रिंसिपल डॉ. मनोज कुमार सिंह से रिपोर्ट मांगी गई है।सैलरी लौटाकर सुर्खिया बटोरने वाले प्रोफेसर ललन कुमार अपने ही जाल में फंसे...अब कह रहे- हमसे भूल हो गई हमका माफ़ी दई दो

प्रो. डॉ. ललन के इस यू टर्न से विश्वविद्यालय में चर्चा का बाजार गर्म हो गया है। जिस ललन कुमार के समर्थन में बातें उठ रहीं थी अब उन्हीं को लेकर तरह तरह की बातें की जा  रहीं हैं। यह भी साफ हो गया है कि डॉ ललन अपना ट्रांसफर नीतीश्वर कॉलेज से पीजी सेंटर में कराना चाहते थे। इसलिए वे विश्वविद्यालय पर दबाव बना रहे थे। इधर, विश्वविद्यालय की ओर से भी इस मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है।

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रजिस्ट्रार डॉ. आरके ठाकुर ने नीतीश्वर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ मनोज कुमार के पत्र भेजकर डॉ ललन के बारे में विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है। रिपोर्ट में क्लास नहीं होने की बात पुष्ट नहीं होती है तो डॉ ललन फंस सकते हैं। डॉ ललन कुमार युनिवर्सिटी के नीतीश्वर कॉलेज में हिन्दी विषय के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

प्रिंसिपल से डॉ.ललन कुमार के आरोप और पढ़ाई लिखाई की वस्तुस्थिति की विस्तृत जानकारी मांगी गयी है। इसके बाद, बीआरए बिहार यूनिवर्सिटी के प्रो. डॉ. ललन कुमार ने माफी मांग ली है। पढ़िए पूरी खबर

"मैं कुछ निर्णय की स्थिति में अपने आप को नहीं पा रहा था। इसलिए में काफी दुखी था। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाया। भावावेश में मैनें ट्रांसफर आवेदन के साथ अपनी पूरी वेतन राशि का चेक प्रस्तूत किया। परंतु बाद में कुछ वरिषठ लोगों और सहकर्मियों के साथ चर्चा करने के बाद यह समझ में आ गयी कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की व्यवस्था के अनुरूप ही आचरण अपेक्षित है। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा कि भविष्य में कोई भी भावावेशपूर्ण कदम नहीं उठाया जाए। इस संदर्भ में जो भी लिखित तथा मौखिक वक्तव्य मेरे द्वारा जारी किए गए हैं उनसब को मैं वापस लेता हूं।"
मैं कुछ निर्णय की स्थिति में अपने आप को नहीं पा रहा था। इस वजह से काफी दु:खी था। मैं अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर पाया। भावावेश में मैनें ट्रांसफर आवेदन के साथ अपनी पूरी वेतन राशि का चेक प्रस्तुत किया। बाद में कुछ वरिष्ठ लोगों और सहकर्मियों के साथ चर्चा के बाद यह समझ में आ गया, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की व्यवस्था के अनुरूप ही आचरण अपेक्षित है। मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगा, भविष्य में कोई भी भावावेशपूर्ण कदम नहीं उठाऊं। इस संदर्भ में जो भी लिखित और मौखिक वक्तव्य मेरी ओर से जारी किए गए हैं उन सब को मैं वापस लेता हूं।”

बिहार विश्वविद्यालय पूरे मामले की जांच करा रहा है। मामले में नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य से भी जवाब मांगा गया है। जानकारी के अनुसार, डॉ ललन ने विवि को मिठनपुरा एसबीआइ ब्रांच का चेक दिया था। अकाउंट नंबर (20181212259) के चेक (959622) से नियुक्ति तिथि 25 सितंबर, 2019 से मई 2022 तक की सैलरी 23.82 लाख रुपए वापस किया था।

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जांच में पता चला कि उनके अकाउंट में 970.95 रुपये हैं। पांच जुलाई को उन्होंने चेक भर कर विवि को भेजा था। उस दिन उनके खाते में 968.95 रुपये थे। छह जुलाई को उनके अकाउंट में दो रुपये और क्रेडिट हुए थे। इसके पूर्व 27 जून को खाते से 1.95 लाख रुपये का लेन-देन हुआ है।

इस पूरे मामले पर नीतीश्वर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज का कहना है कि हिंदी विभाग में डॉ. ललन कुमार के अलावा एक गेस्ट शिक्षक भी हैं। उनका पेमेंट हर माह होता है। अगर कक्षाएं नहीं चलतीं तो गेस्ट शिक्षक का पेमेंट कैसे होता। ललन कुमार चाहते हैं कि उनका तबादला पीजी डिपार्टमेंट या फिर पोस्ट ग्रेजुएट स्तर के कॉलेज कर दिया जाये। विवि स्तर पर यह मामला लंबित है।

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इसी से परेशान होकर उन्होंने प्रशासनिक दबाव बनाने के लिए इस तरह का कदम उठाया है। इधर, देश भर में चर्चित होने के बाद डॉ. ललन कुमार अब अपनी जान पर खतरा जता रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी प्रोफेसर साहब पर लोग टिप्पणियां कर रहे हैं। कोई उनके कदम को सही बता रहा है, कुछ ने लिखा है कि सैलरी ही लौटानी थी, तो डीडी बना कर देते। कुछ ने तंज कसते हुए कहा कि पहले तो ईमानदारी की महक का एहसास हुआ। फिर लगा कि पूरी सैलरी वापस कर रहे हैं, तो इतने दिन खाये क्या?

दूसरी ओर सहायक प्रोफेसर ललन कुमार मामले में बिहार विवि के रजिस्ट्रार डॉ आरके ठाकुर ने कॉलेज के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार से रिपोर्ट मांगी है। रजिस्ट्रार ने कहा कि अगर शिक्षक कह रहे हैं कि कक्षाएं नहीं हुई हैं, तो यह गंभीर मामला है। प्राचार्य से जब तक इसकी रिपोर्ट नहीं मिलेगी। तब तक कुछ कहना जल्दबाजी होगी। वीसी को भेजे पत्र में उन्होंने कहा था कि क्लास में विद्यार्थियों की उपस्थिति लगभग शून्य रहने के कारण वह अपने दायित्व का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं।

महात्मा गांधी के बताये ज्ञान के आधार पर अंतरात्मा की आवाज सुनते हुए इन परिस्थितियों में वेतन राशि स्वीकार करना मेरे लिए अनैतिक है। इसके बाद डॉ ललन कुमार ने मंगलवार को 23 लाख 82 हजार 228 रुपये का चेक कुलसचिव बीआरए बिहार विवि के नाम से उनके कार्यालय में रिसीव कराया। इसके साथ वीसी को संबोधित आवेदन भी दिया। इसमें उन्होंने आरडीएस कॉलेज या एमडीडीएम कॉलेज में स्थानांतरण का अनुरोध भी किया।

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