सर्दियों के दौरान ठंड लगने या फिर मौसम बदलने के दौरान, या फिर धूप और धूल की वजह से सर्दी, खांसी और बुखार जैसी विभिन्न बीमारियों में बढ़ोतरी होती है।
यह मुख्य रूप से वायरस के बढ़ते प्रसार के कारण होता है। जुकाम एक संक्रामक बीमारी है जो बहुत जल्दी बढ़ती है। यह बीमारी बहती नाक, बुखार, सुखी या गीली खाँसी अपने साथ लाती है, जो श्वसन तंत्र पर अचानक हमला करता है।
इसके कारण नाक बहना, छींकना, थकान, तीव्र बुखार, ठंड लगना, नाक जाम, और खाँसी जैसे बीमारियों में तेजी आती है। जिसके कारण गले में खराश, खांसी , बुखार, शरीर में दर्द और सिरदर्द जैसी शिकायतें आती हैं। कॉमन कोल्ड में बच्चों और बुजुर्गों को विशेष ध्यान और सावधानी बरतनी चाहिए।
जैसे ही हम बच्चों में सर्दी, खांसी या बुखार के लक्षण देखते हैं, हम तुरंत अपने बच्चों को दवा देते हैं। ये तीन बीमारियां बहुत आम हैं और अधिकांश बच्चे हर दूसरे महीने सर्दी या खांसी से प्रभावित होते हैं। लेकिन फिलहाल मामला, बीमारी से जुड़ा नहीं है बल्कि इस बीमारी के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवाइयों से जुड़ा है। कारण, इन दवाइयों के दाम बढ़ गए हैं। महंगाई की मार इनपर भी सीधी पड़ी है।
जानकारी के अनुसार, अप्रैल से दवाओं के दाम भी बढ़ने वाले हैं। केंद्र सरकार ने शेड्यूल दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। इसके बाद, एक अप्रैल से करीब 800 दवाओं की कीमतों में 10.7 फीसदी की बढ़ोतरी होने वाली है।
NPPA की ओर से 25 मार्च को जारी नोटिस के अनुसार
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार की तरफ से उपलब्ध कराए गए थोक महंगाई दर डेटा के आधार पर, साल 2020 की तुलना में 2021 के लिए WPI में 10.76 फीसदी का बदलाव किया गया। ड्रग्स प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO), 2013 के प्रावधानों के आधार पर आगे की कार्रवाई के लिए सभी को यह नोटिस जारी किया जाता है।
जिन दवाओं की कीमतें बढ़ेंगी,
इनमें बुखार, हार्ट डिजीज, हाई ब्लड प्रेशर, स्किन डिजीज और एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल हैं। यानी पैरासिटामोल, सिपरोफ्लोक्सासीन हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फिनाइटोइन सोडियम जैसी दवाएं अब महंगी मिलेंगी। इसके अलावा कोरोना वायरस महामारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के दाम भी बढ़ सकते हैं।
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 25 मार्च को इसकी घोषणा की। NPPA भारत में दवाओं की कीमत पर निगरानी रखने वाली रेग्युलेटरी अथॉरिटी है। NPPA के मुताबिक, दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी थोक महंगाई दर (WPI) के आधार पर तय की गई है।