महाराष्ट्र विधानमंडल सचिवालय ने शिवसेना के 53 विधायकों को व्हिप उल्लंघन पर नोटिस जारी किया है। विधि मंडल सचिव राजेंद्र भागवत ने नोटिस जारी कर सभी से 7 दिन के भीतर जवाब मांगा है।
महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई में सरकार तो बन गई है, लेकिन सियासी गहमागहमी लगातार जारी है। इस वक्त एक बड़ी खबर यह आ रही है कि आदित्य ठाकरे को छोड़कर शिवसेना के 53 विधायकों को नोटिस भेजा गया है। महाराष्ट्र विधानसभा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है।
ये नोटिस विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान व्हिप के उल्लंघन के आरोप में अयोग्यता कानून के तहत जारी किए गए हैं। इसमें विधायकों से 7 दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया है। ये कार्रवाई ऐसे समय सामने आई है, जब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को महाराष्ट्र के मसले पर अहम सुनवाई होनी है।
जिन विधायकों को नोटिस भेजा गया है उनमें एकनाथ शिंदे गुट के 39 और ठाकरे खेमे के 14 एमएलए शामिल हैं। आपको बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दोनों खेमे द्वारा दी गई याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। दोनों ही खेमे ने तीन और चार जुलाई को पहले स्पीकर के चुनाव और फिर फ्लोर टेस्ट के दौरान व्हीप के उल्लंघन का आरोप लगाते हुआ सदस्यता रद करने की मांग की है।
आदित्य ठाकरे को नोटिस नहीं भेजने के पीछ जो सबसे बड़ा कारण है वह यह है कि शिंदे कैंप ने मातोश्री के प्रति सम्मान का दावा करते हुए आदित्य ठाकरे के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का निर्णय किया था। शिवसेना के इन 53 विधायकों से एक सप्ताह के अंदर जवाब मांगा गया है।
विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव और एकनाथ शिंदे के विश्वासमत प्रस्ताव के बाद शिवसेना और शिंदे गुट ने एक- दूसरे के विधायकों पर व्हिप उल्लंघन के तहत कार्रवाई की मांग करते हुए विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखा था। पत्र में शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील शिंदे ने 40 विधायकों और शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले ने 13 विधायकों पर व्हिप उल्लंघन का आरोप लगाया था।
इससे पहले विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष नरहरि झिरवल ने शिंदे गुट के 16 विधायकों पर पार्टी विरोधी काम करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया था। शिंदे गुट ने इस नोटिस को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस पर 11 जुलाई को सुनवाई होनी है।
कुल 40 शिवसेना विधायकों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया उस दिन एक विधायक विद्रोही खेमे में जुड़ गया। 15 ने इसके खिलाफ मतदान किया। उसी दिन गोगावले ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को याचिका दायर करते हुए कहा कि प्रस्ताव के पक्ष में मतदान नहीं करने वाले 14 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता सहित अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।
प्रभु ने भी एक याचिका दायर करते हुए कहा कि जिन शिवसेना विधायकों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट नहीं दिया उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए। उन्होंने उनमें से 39 का नाम लिया।
राज्य विधायिका के प्रमुख सचिव राजेंद्र भागवत ने महाराष्ट्र विधान सभा के इन 53 विधायकों को को दलबदल के आधार पर अयोग्यता नियम के तहत नोटिस जारी किया। विधायकों को सात दिन में जवाब देने का निर्देश दिया गया है।
4 जुलाई को एकनाथ शिंदे गुट के मुख्य सचेतक भरत गोगावाले ने विश्वास मत के लिए शिवसेना के सभी विधायकों को एक लाइन का व्हिप जारी कर प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया था। वहीं, जबकि दूसरे गुट के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने भी शिवसेना के सभी विधायकों को सरकार के पक्ष में मतदान नहीं करने का निर्देश दिया था।