राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को नागपुर में आयोजित विजय दशमी कार्यक्रम में (rss-chief-mohan-bhagwat-vijayadashami-address) शक्ति की साधना का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इसके बिना दुनिया में शांति संभव नहीं है। इस दौरान उन्होंने भारतीय मातृशक्ति की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया में शक्ति और विश्वास दोनों में बड़ा है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पर्वतारोही संतोष यादव उपस्थित रहीं।
जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस (RSS) ने एवरेस्ट विजेता पद्मश्री संतोष यादव को अपना विजयादशमी समारोह का मुख्य अतिथि बनाया है। यह पहला मौका है जब आरएसएस ने किसी महिला को अपने दशहरा कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया है।
संतोष यादव ने सरसंघचालक मोहन भागवत के साथ पूजा-अर्चना की। अब सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने नागपुर के आरएसएस मुख्यालय में परंपरागत शस्त्र पूजा की है। सरसंघचालक ने अपने संबोधन में कहा कि हम कौन हैं, हमारी आत्मा क्या है, इसकी स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए। अगर हमें यह जानकारी होगी तो हमें प्रगति का रास्ता साफ-साफ दिखेगा।
संघ प्रमुख ने कहा कि वर्तमान समय में मातृशक्ति की उपेक्षा नहीं की जा सकती। हमारी सनातन संस्कृति में महिलाओं को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया गया है लेकिन न जाने क्यों समय के साथ उनकी सक्रियता को कम किया गया। विदेशी आक्रमणों के दौरान जिस मानसिकता को हमने अपनाया था हम आज भी उससे बंधे हुए हैं। यह अवसर है कि हम अपने परिवार की महिलाओं को आगे लाने के कार्य की शुरुआत करें। समूचे समाज की संगठित शक्ति इसके बिना पूरी नहीं हो पाएगी।
उन्होंने कहा, जनसंख्या पर एक समग्र नीति बने, सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए। 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं हमारे देश में। चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। नौकरी-चाकरी में भी अकेली सरकार और प्रशासन कितना रोजगार बढ़ा सकती है? समाज अगर ध्यान नहीं देता है तो होता है।
कहा कि मंदिर, पानी, श्मसान नहीं सबके लिए समान हो, इसकी व्यवस्था तो सुनिश्चित करनी ही होगी। ये घोड़ी चढ़ सकता है, वो घोड़ी नहीं चढ़ सकता, ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें तो हमें खत्म करनी होंगी। सबको एक-दूसरे का सम्मान करना होगा। हमें समाज का सोचना होगा, सिर्फ स्वयं का नहीं।
कोरोना काल में समाज और सरकार ने एकजुटता दिखाई तो जिनकी नौकरी गई, उन्हें काम मिला। आरएसएस ने भी रोजगार देने में मदद की। उधर, सरकार ऐसी व्यवस्था करे कि लोग बीमार ही नहीं हों। उपचार तो बीमारी के बाद होता है।
इस मौके पर मुख्य अतिथि पर्वतारोही संतोष यादव ने कहा कि अक्सर मेरे व्यवहार और आचरण से लोग मुझसे पूछते थे कि ‘क्या मैं संघी हूं?’ तब मैं पूछती-वह क्या होता है? मैं उस वक्त संघ के बारे में नहीं जानती थी। आज वह प्रारब्ध है कि मैं संघ के इस सर्वोच्च मंच पर आप सबका स्नेह पा रही हूं।
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