सुप्रीम कोर्ट ने भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को चार महीने की कैद के साथ दो हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। जुर्माने की रकम जमा नहीं करने पर दो महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह फैसला सुनाया । कोर्ट ने अपने आदेश में विदेश में ट्रांसफर किए गए 40 मिलियन डॉलर चार हफ्ते में चुकाने का निर्देश दिया है।
इस मामले में बैंकों और प्राधिकरणों का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने 10 जुलाई 2017 को माल्या को कोर्ट के समक्ष पेश होने का आदेश दिया था। जिसके बाद न तो वह पेश हुआ और न ही उसकी तरफ से कोई वकील पीठ के समक्ष आया। जिसके बाद कोर्ट ने कहा था कि ब्रिटेन में माल्या एक आजाद इंसान की तरह रहता है, लेकिन वो वहां क्या कर रहा है, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है।
विजय माल्या पर उनके किंगफिशर एयरलाइन (Kingfisher Airline) से जुड़े नौ हजार करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाले (bank loan scam) में शामिल होने का आरोप है। जिसके बाद वह देश छोड़कर भाग गया था और इस समय वह ब्रिटेन में रह रहा है।
13 बैंकों ने लगाई थी याचिका
विजय माल्या के खिलाफ एसबीआई समेत 13 बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि माल्या नौ हजार करोड़ रुपए से अधिक के लोन के रिपेमेंट पर अदालत के आदेश का पालन नहीं किया। वह मार्च 2016 से ही ब्रिटेन में है।
क्या है मामला
दरअसल, भारतीय स्टेट बैंक ने विजय माल्या के खिलाफ कोर्ट के आदेश के बावजूद बकाया न चुकाने की अर्जी दी थी। इस मामले को जस्टिस यूयू ललित तिन जजों वाली बेंह ने सुनवाई की थी। जस्टिस ललित के साथ पीठ में जस्टिस एस रविंद्र भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया शामिल हैं। कोर्ट ने 10 मार्च को माल्या की सजा पर फैसला सुरक्षित रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने 5 साल पहले 9 मई 2017 को विजय माल्या को कोर्ट के आदेश की अवमानना का दोषी मानते हुए सुनवाई शुरू की थी। दरअसल, विजय माल्या ने अपनी संपत्ति का पूरा ब्योरा उन बैंकों और संबंधित प्राधिकरणों को नहीं दिया था, जिनसे उसने करोड़ों-अरबों रुपयों का कर्ज लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 10 फरवरी को कोर्ट ने विजय माल्या को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया था। 24 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सजा पर फैसले के लिए और इंतजार नहीं होगा।
दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है। कोर्ट ने कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को एमिकस नियुक्त किया था। सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
31 अगस्त 2020 को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्यौरा न देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी।
माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में एक और याचिका दायर की है। माल्या ने भारत में अपनी संपत्ति जब्त करने के लिए ईडी की ओर से शुरू की गई कार्रवाई के खिलाफ याचिका दाखिल की है। पुनर्विचार याचिका लंबे समय तक जजों के सामने नहीं लगी थी जिसकी वजह से कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री से भी जवाब मांगा था।