वाराणस के श्री काशी विश्वनाथ धाम में सुरक्षा बलों ने तीन संदिग्ध युवकों को पकड़ा है। तीनों श्रीकाशी विश्वनाथ धाम गेट नंबर चार से बीती शाम आरती के समय पहुंचे थे। तीनों संदिग्ध परिसर में प्रवेश कर गए।
इसमें दो युवक दूसरे समुदाय के हैं। आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी में लगे सीआरपीएफ दरोगा ने तीनों को पूर्वी द्वार से पकड़ा। पुलिस के अनुसार तीनों के कब्जे से किसी तरह का कोई प्रतिबंधित सामान या अन्य कुछ ऐसी वस्तु नहीं मिली। फिलहाल चौक थाने में तीनों से आईबी समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां पूछताछ कर रही हैं।
युवकों में दो मुस्लिम वर्ग से और एक हिंदू है। सोमवार को भी युवकों से पूछताछ में पता चला कि तीनों झारखंड के एक ही गांव के निवासी है। उनके पास से कोई भी आपत्तिजनक चीज नहीं मिली है।
पूछताछ के बाद सुरक्षा बलों ने सुरक्षा एजेंसियों के हवाले कर दिया। शुरू में हुई पूछताक्ष में पता चला कि तीनों झारखंड के रहने वाले हैं। उन्हें मंदिरों में मुस्लिमों के प्रवेश के नियम के बारे में जानकारी नहीं हुई। सुरक्षा एजेंसी उनके बारे में पड़ताल शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक पकड़े गये मुक्तेश्वर सिंह, निसार अहमद (34) और मुख्तार अंसारी (39) ने बताया कि अजमेर शरीफ जाने के पहले हिन्दू मित्र के कहने पर वह यहां बाबा के धाम में दर्शन के लिए आये थे। अफसरों के अनुसार आइबी की टीम भी तीनों से पूछताछ करेगी।
तीनों के घर से पुष्टि करने के साथ ही उनके दस्तावेजों और फोन सहित अलग- अलग पूछताछ कर सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद संभावना है कि तीनों को छोड़ देगी। पूछताछ में सामने आया है कि ज्ञानवापी प्रकरण से संबंधित विवाद के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी।
जानकारी के अनुसार, बीते रविवार की शाम बाबा विश्वनाथ धाम में सतर्क सुरक्षा बलों की निगाह तीन संदिग्धों पर पड़ी और उन्हें रोक कर पूछताछ की गई। तीनों में दो के मुस्लिम होने की जानकारी पर सुरक्षा में लगे जवानोंं ने उनसे देर तक पूछताछ की। तीनों को चौक थाने लाकर पुलिस और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट ने भी काफी देर तक पूछताछ जारी रखी।
पूछताछ में मुक्तेश्वर ने बताया कि दोनों उसके कहने पर यहां दर्शन के लिए आये। गिरिडीह की पुलिस से वाराणसी पुलिस ने संपर्क किया तो तीनों का नाम-पता सही निकला। यह भी स्पष्ट हुआ कि तीनों की पृष्ठभूमि को लेकर किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं है। तीनों के परिजन किसान है।