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1 मई, 2024
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…तो सचमुच! अपने नीतीश भैया राष्ट्रपति बनेंगे, यूपी चुनाव के बाद BJP से अलग हो सकते हैं नीतीश कुमार

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देशज टाइम्स | Highlights -

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तो क्या सचमुच बिहार से ही अगला राष्ट्रपति भी देश को मिलेगा। जी हां, पहले राज्यपाल रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति बने। अब सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रपति (Your Nitish Bhaiya will become the President) बनेंगे।

जय बाबा केदार..!

 

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इसकी चर्चा बेहद तेज स्वरों में सुनाई पड़ रही है। हालांकि, इसको लेकर किसी तरह का कोई आधिकारिक बयान जेडीयू या उनके किसी नेता या स्वंय सीएम नीतीश कुमार की ओर से अब तक नहीं आया है लेकिन चर्चा तो है, सीएम नीतीश कुमार बस चंद महीनों बाद राष्ट्रपति बनेंगे।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गुपचुप तरीके से हुई मुलाकात के बाद मीडिया में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बेहद नई खबर सामने आ रही है। कहा जा रहा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विपक्षी दल राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना सकते हैं।

सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) चाहते हैं कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर नीतीश कुमार के चेहरे को आगे किया जाए। ऐसे में किसी भी आम आदमी के जेहन में पहला सवाल यही उठता है कि आखिर केसीआर क्यों चाहेंगे कि नीतीश कुमार देश के राष्ट्रपति बनें। आइए इस सवाल का जवाब समझने की कोशिश करते हैं।

ताजा खबर यही है

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्ष की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चाओं के बीच बड़ी खबर आई है। सूत्रों के मुताबिक, यूपी चुनाव के बाद नीतीश कुमार बीजेपी गठबंधन यानी एनडीए से अलग होने का विचार कर रहे हैं। वह इस पर जल्द फैसला ले सकते हैं।

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और नीतीश कुमार से पिछले दिनों मुलाक़ात हुई है। साथ ही एनसीपी चीफ शरद शरद पवार सभी घटना क्रम पर नज़र बनाए हुए हैं।

नीतीश कुमार को राष्ट्रपति बनाने की बात की शुरुआत तब हुई जब इसी महीने केसीआर और प्रशांत किशोर की मुलाक़ात हुई। तेलंगाना के चुनाव में पीके की टीम इस बार केसीआर की पार्टी टीआरएस के लिए काम करेगी। दो दिनों तक दोनों के बीच चली बैठक में नीतीश को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ाने पर लंबी चर्चा हुई।

इसके बाद नीतीश और प्रशांत किशोर पटना में डिनर पर मिले। वहीं केसीआर मुंबई में शरद पवार और सीएम उद्धव ठाकरे से मिले। इससे पहले आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी केसीआर से मुलाकात की थी।

बड़ी बात यह है कि बिहार में नीतीश की पार्टी जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन वाली सरकार है। पर जातिगत जनगणना को लेकर जेडीयू और बीजेपी में तनातनी जारी है। आरजेडी इस मुद्दे पर नीतीश के साथ है। विपक्ष की रणनीति ये है कि बीजेपी के खिलाफ ऐसा मज़बूत उम्मीदवार दिया जाए कि कांग्रेस भी उसी के समर्थन देने को मजबूर हो जाए।

इसी साल जुलाई-अगस्त में राष्ट्रपति पद का चुनाव होना है। इसको लेकर बीजेपी के खिलाफ बेहद मुखर तेलंगाना के सीएम केसीआर ने गोटियां सेट करनी शुरू कर दी है। उन्होंने गैर भाजपा और गैर-कांग्रेसी दलों को एकजुट करने की पहल की है।

इसी महीने प्रशांत किशोर और केसीआर के बीच मुलाकात हुई थी। इसके बाद प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार से मुलाकात की। ध्यान रहे कि पिछले दिनों तेजस्वी यादव ने भी केसीआर के अलावा शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ शरद पवार से मुलाकात की थी।

माना जा रहा है कि इन सभी मुलाकातों का एजेंडा राष्ट्रपति चुनाव के जरिए बीजेपी को झटका देने की प्लानिंग है। केसीआर की कोशिश की है कि कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी जैसे टीएमसी, सपा, आप, आरजेडी, जेडीयू जैसे दलों को साथ लाया जाए। केसीआर को उम्मीद है कि नीतीश कुमार बेहद मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं और कांग्रेस भी उनको समर्थन देने को मजबूर हो सकती है।

याद कीजिए 21 अक्टूबर 2021 जब CM नीतीश बोले- बिहारी राष्ट्रपति, प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद हुए गदगद, तो क्या नीतीश कुमार की रणनीति पहले से ही बिहार के एक और राष्ट्रपति पर थी...यह सवाल तो अब पूछे ही जाएंगें
याद कीजिए 21 अक्टूबर 2021 जब CM नीतीश बोले- बिहारी राष्ट्रपति, प्रेसिडेंट रामनाथ कोविंद हुए गदगद, तो क्या नीतीश कुमार की रणनीति पहले से ही बिहार के एक और राष्ट्रपति पर थी…यह सवाल तो अब पूछे ही जाएंगें

नए नवेले राज्य तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव मजबूत सरकार चला रहे हैं। राज्य में उन्हें अपार जनसमर्थन हासिल है। ऐसे में वह केंद्र की राजनीति में अपनी एंट्री पाना चाहते हैं। इसकी कोशिश वह पहले भी कर चुके हैं लेकिन उसमें नाकामी हाथ लगी थी।

केंद्र की राजनीति में एंट्री के लिए केसीआर पहले भी थर्ड फ्रंट बनाने की असफल कवायद कर चुके हैं। माना जा रहा है कि इस बार केसीआर राष्ट्रपति चुनाव के बहाने थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में हैं। केसीआर चाहते हैं कि गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस किसी ऐसे चेहरे को आगे कर राजनीति चाल चली जाए जिसको लेकर विवाद की गुंजाइश ना हो। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर केसीआर कांग्रेस को समर्थन के लिए मजबूर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

बीजेपी के सामने चेहरा बनने की तैयारी में केसीआर!
2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को देशभर में मिले जनसमर्थन को देखते हुए केसीआर का झुकाव एनडीए की तरफ भी दिखा था, लेकिन कहा जा रहा है कि पिछले कुछ समय से यह दूरियों में तबदील होता दिख रहा है। इसकी बानगी के रूप में देख सकते हैं कि केसीआर पिछले कुछ दिनों से बीजेपी नेताओं के चुनावी भाषणों में कही गई बातों पर पलटवार कर रहे हैं।

हाल ही में केसीआर ने बीजेपी नेता हेमंत बिस्वा शर्मा की ओर से राहुल गांधी के पिता का नाम पूछने पर सवाल उठाया था। इस वक्त देश में बीजेपी के सामने कांग्रेस लाचार दिख रही है। विभिन्न राज्यों में हो रहे चुनावों में भी कांग्रेस का हाल बुरा ही है।

ऐसे में केसीआर चाहते हैं कि वह केंद्र की पॉलिटिक्स में बीजेपी के सामने विपक्षा का चेहरा बनें। इसी रणनीति के तहत केसीआर राष्ट्रपति चुनाव के बहाने थर्ड फ्रंट की परिकल्पना को साकार करने की कोशिश में हैं। माना जा रहा है कि राष्ट्रपति चुनाव में अगर केसीआर इस प्रयोग में सफल होते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में वह खुद को केंद्र की पॉलिटिक्स के लिए मजबूती से प्रोजेक्ट कर पाएंगे।

विपक्ष की ओर नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से पहले कई बार इस बात को लेकर भी अटकलें लगी थीं कि बीजेपी नीतीश को उपराष्ट्रपति बना सकती है। हालांकि, अब नए समीकरणों के उभरने के बाद बिहार की सियासत में भी भूचाल आ सकता है।

नीतीश यदि विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं तो बीजेपी से उनका अलगाव तय माना जा रहा है। ऐसे में यदि आरजेडी और जेडीयू साथ आते हैं तो बीजेपी को सत्ता से बाहर जाना पड़ेगा।

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