बिहार के निजी डिग्री कॉलेजों में 19 अप्रैल 2007 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए पटना हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए वेतन, पेंशन और सभी सेवा लाभ देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस आदेश को 3 महीने के भीतर लागू करने का निर्देश बिहार सरकार को दिया है।
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सरकार का तर्क खारिज, सभी कॉलेजों को मिलेगा लाभ
सरकार ने दावा किया था कि 2015 में बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम (Bihar University Act, 1976) की धारा 57-A में हुआ संशोधन केवल ‘Performance Grant’ आधारित कॉलेजों पर लागू होता है, न कि ‘Deficit Grant’ वाले कॉलेजों पर। लेकिन मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने इसे असंवैधानिक (Unconstitutional) करार दिया।
कोर्ट का स्पष्ट आदेश:
“कॉलेज की श्रेणी चाहे जो भी हो, सभी योग्य शिक्षकों को समान सेवा लाभ मिलना चाहिए।”
पटना हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए बिहार के मान्यता प्राप्त निजी डिग्री कॉलेजों में 19 अप्रैल 2007 से पहले नियुक्त शिक्षकों को वेतन, पेंशन और अन्य सेवा लाभ (UGC Pay Scale, Pension, Service Benefits) देने का निर्देश दिया है। यह आदेश तीन महीने के भीतर लागू करने को कहा गया है।
क्या है पूरा मामला?
मामला उन निजी मान्यता प्राप्त डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों का है जिन्हें वर्षों से पढ़ाने के बावजूद वेतन और पेंशन से वंचित रखा गया। ये शिक्षक बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम, 1976 की धारा 57-A में 2015 में किए गए संशोधन का लाभ चाहते थे। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि यह संशोधन सिर्फ परफॉर्मेंस ग्रांट कॉलेजों पर लागू होता है, न कि डिफिसिट ग्रांट वाले कॉलेजों पर।
न्यायिक टिप्पणी – शिक्षा नीति की भावना के खिलाफ था भेदभाव
कोर्ट ने यह टिप्पणी की:
“शिक्षा नीति (National Education Policy) की भावना यह है कि सभी योग्य शिक्षकों को समान अधिकार और सम्मान मिले। सरकारी भेदभाव से शिक्षक वर्षों से परेशान हैं, यह सुधार आवश्यक था।”
कोर्ट ने किया भेदभाव को असंवैधानिक करार
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी योग्य शिक्षकों को यह लाभ मिलना चाहिए, चाहे उनका कॉलेज किसी भी श्रेणी में आता हो। यह भेदभाव संविधान और शिक्षा नीति की भावना के खिलाफ है। खंडपीठ ने कहा कि वर्षों तक सेवा देने वाले शिक्षकों को पेंशन और वेतन से वंचित रखना अन्यायपूर्ण है।
किसे मिलेगा लाभ?
वे शिक्षक जो 19 अप्रैल 2007 से पहले निजी डिग्री कॉलेजों में नियमित रूप से नियुक्त हुए थे। वे शिक्षक जो कॉलेज की गवर्निंग बॉडी की अनुशंसा पर नियुक्त हुए।सेवानिवृत्त शिक्षक भी इसके दायरे में आएंगे और उन्हें UGC वेतनमान के अनुसार पेंशन और अन्य लाभ दिए जाएंगे।
बिहार सरकार की अपील हुई खारिज
बिहार सरकार ने शिक्षकों को लाभ न देने के पक्ष में दो अपीलें दायर की थीं। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश अशुतोष कुमार और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने सरकार की दोनों अपीलें खारिज कर दीं। कोर्ट ने 3 महीने के भीतर आदेश पूरी तरह लागू करने का निर्देश दिया।
हजारों शिक्षकों को मिली बड़ी राहत
यह फैसला बिहार के हजारों निजी कॉलेज शिक्षकों के लिए एक बड़ी जीत है। इससे लंबे समय से वंचित शिक्षक परिवारों को आर्थिक राहत मिलेगी। यह शिक्षा जगत में समानता और न्याय की दिशा में एक अहम कदम है।