केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की याद में रविवार रात अचानक एनएच-48 के शाहजहांपुर बॉर्डर पर शहीद स्मारक खड़ा कर दिया गया। स्मारक निर्माण के दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारी करीब एक किमी आगे चैक पोस्ट पर कोविड की नो-एंट्री की पालना में जुटे थे। प्रशासन का ध्यान हटते ही किसानों ने हाईवे के बीच डिवाईडर पर ईंटों की चिनाई कर स्मारक खड़ा कर दिया।
अलवर। आंदोलनकारी किसान मोर्चे के प्रवक्ता डॉ. संजय माधव ने बताया कि किसान आंदोलन पर सरकार से पूछ कर नहीं बैठे थे। हमने शहीद स्मारक बना दिया है। सरकार की हिम्मत हो तो हटा देगी। स्मारक पर आंदोलन मे शहीद हुए हर एक किसान की स्मृति में एक मटकी लगाई जाएगी। घटना की जानकारी मिलने के बाद देर रात प्रशासन मौके पर पहुंचा और किसानों से बातचीत की।(Farmers made a farmer martyr memorial overnight on the highw)
आंदोलनकारियों ने हाईवे पर किसान शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रशासन हरकत में आया। रविवार दोपहर अलवर जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाडिय़ा किसान पड़ाव स्थल पर पहुंचे थे। किसान नेता राजाराम मील को कोरोना होने एवं पूर्व विधायक अमराराम चौधरी के बाहर होने से उनकी प्रमुख नेताओं से बात नहीं हो पाई। इसके चलते कलेक्टर ने एसडीएम नीमराना से रिपोर्ट भी तलब की। कलेक्टर से भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष बलबीर छिल्लर ने कहा था कि किसान शहीद स्मारक के लिए संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा कमेटी का गठन किया है। कमेटी राज्य सरकार से बात कर रही है। इजाजत मिलते ही डिवाइडर पर शहीद स्मारक बनाया जाएगा।
शाहजहांपुर स्थित खेड़ा बॉर्डर पर किसान नए कृषि कानूनों को लेकर दिसम्बर से विरोध जता रहे हैं। बीते दिनों अचानक देश के विभिन्न शहरों से कलश में मिट्टी अलवर पहुंची। इसके बाद रविवार रात किसानों ने शाहजहांपुर बॉर्डर पर हाईवे के बीचों बीच डिवाइडर पर शहीद स्मारक बना दिया। स्मारक पर आंदोलन में शहीद हुए हर एक किसान की स्मृति में एक मटकी लगाई गई है। (Farmers made a farmer martyr memorial overnight on the highw)