DRS Controversy: एशेज में फिर उठा DRS पर सवाल, मिचेल स्टार्क ने ICC को घेरा!
DRS Controversy: एशेज में मिचेल स्टार्क ने DRS पर उठाए गंभीर सवाल, ICC से की बड़ी मांग
एशेज सीरीज हमेशा से रोमांच और विवादों का संगम रही है, और इस बार ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज मिचेल स्टार्क ने Decision Review System (DRS) को लेकर एक ऐसे मुद्दे को हवा दी है, जिसने क्रिकेट जगत में बहस छेड़ दी है। फैंस भी सोच रहे हैं कि आखिर इतनी महत्वपूर्ण तकनीक को लेकर इतनी असंगतियां क्यों हैं? स्टार्क ने सीधे तौर पर आईसीसी (ICC) से पूछा है कि जब DRS जैसी अहम तकनीक खेल का इतना बड़ा हिस्सा है, तो इसका खर्च अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद खुद क्यों नहीं उठाती? स्निको और अल्ट्रा एज जैसी तकनीकों में दिख रही असमानता ने खिलाड़ियों और क्रिकेट बोर्ड्स की चिंताएं बढ़ा दी हैं, और यह सवाल उठाना लाजिमी है कि क्या हम खेल की निष्पक्षता से समझौता कर रहे हैं? आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।
DRS Controversy: स्टार्क की ICC से मांग और तकनीक पर सवाल
मिचेल स्टार्क के इस बयान ने क्रिकेट के गलियारों में हलचल मचा दी है। उनका कहना है कि अगर DRS जैसी तकनीकें इतनी महंगी हैं कि क्रिकेट बोर्ड्स को खुद इसका खर्च उठाना पड़ता है, तो आईसीसी को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर यह तकनीक खेल की गुणवत्ता और अंपायरिंग के फैसलों को बेहतर बनाने के लिए है, तो इसमें एकरूपता और सटीकता अनिवार्य है। हाल ही में एशेज सीरीज में कुछ ऐसे फैसले देखने को मिले, जहां DRS के कारण विवाद खड़ा हो गया, जिससे खिलाड़ियों और दर्शकों में भी असमंजस की स्थिति बनी। खेल जगत की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
तकनीकी विश्वसनीयता पर उठते सवाल
स्निको और अल्ट्रा एज के अलग-अलग नतीजों ने Decision Review System की विश्वसनीयता पर भी सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। खिलाड़ियों का मानना है कि जब मैदान पर एक-एक रन और विकेट का महत्व होता है, तब तकनीकी खामियां खेल का रुख बदल सकती हैं। स्टार्क की यह मांग सिर्फ ऑस्ट्रेलिया या एशेज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। अगर आईसीसी इस पर ध्यान नहीं देती, तो आने वाले समय में ऐसे विवाद और बढ़ सकते हैं। तकनीक का उपयोग खेल को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए, न कि उसमें नए विवाद जोड़ने के लिए। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1। इस मुद्दे पर आईसीसी का अगला कदम देखना दिलचस्प होगा। क्या वे खिलाड़ियों की इन चिंताओं पर गौर करेंगे और DRS के लिए एक अधिक एकीकृत और विश्वसनीय प्रणाली विकसित करेंगे? यह सवाल अब भी बना हुआ है। आप पढ़ रहे हैं देशज टाइम्स बिहार का N0.1।




