नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री ने हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान टीम इंडिया के पिछले चार मुख्य कोचों की कोचिंग क्षमता को रेटिंग देने के सवाल पर एक बड़ा बयान दिया है। शास्त्री ने इस सवाल पर खुद को रेट करने से साफ इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने कोचों के मूल्यांकन के तरीके पर भी अपनी राय रखी।
शास्त्री ने खुद को रेटिंग देने से किया इनकार
एक समाचार मीडिया के पॉडकास्ट में में अपनी बात रखते हुए रवि शास्त्री ने कहा, “मैं खुद को कैसे रेट कर सकता हूँ? यह तो कोचों और खिलाड़ियों को तय करना है।” शास्त्री, जिन्होंने 2014 से 2021 तक भारतीय टीम के साथ विभिन्न भूमिकाओं में काम किया, उनमें से अधिकांश समय मुख्य कोच के रूप में, उन्होंने कोचिंग के मूल्यांकन की जटिलता पर जोर दिया। उनका यह बयान कई पूर्व क्रिकेटरों और विशेषज्ञों द्वारा कोचिंग पर दिए गए बयानों के बीच आया है।
कोचिंग का मूल्यांकन एक जटिल प्रक्रिया
शास्त्री ने स्पष्ट किया कि कोचिंग का मूल्यांकन केवल जीत या हार के आधार पर नहीं किया जा सकता। एक कोच की सफलता टीम के माहौल को बेहतर बनाने, खिलाड़ियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने और मुश्किल परिस्थितियों में टीम को एकजुट रखने की क्षमता पर भी निर्भर करती है। उन्होंने संकेत दिया कि कोच की भूमिका सिर्फ रणनीतिक या तकनीकी नहीं होती, बल्कि मानसिक और भावनात्मक भी होती है।
Ravi Shastri on Coach: भविष्य के कोचों के लिए महत्वपूर्ण संदेश
शास्त्री के इस बयान को अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़ और यहां तक कि संभावित भविष्य के कोच जैसे गौतम गंभीर के कोचिंग पर चल रही चर्चाओं के संदर्भ में देखा जा रहा है। हालांकि शास्त्री ने सीधे तौर पर किसी का नाम लेकर मूल्यांकन नहीं किया, लेकिन उनकी टिप्पणियों ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि कोचों के प्रदर्शन का आकलन एक बहुआयामी प्रक्रिया होनी चाहिए, जिसमें टीम के समग्र विकास और प्रदर्शन को ध्यान में रखा जाए।






