मई,12,2024
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DeshajTimes.Com Sunday Special…में पढ़िए…Madhya Pradesh की स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका वैदेही कोठारी की कहानी… से##सी बम्ब…

Vaidehi Kothari स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका हैं। मध्यप्रदेश के राजस्व कॉलोनी रतलाम में रहती हैं।

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रोहित जोर से चिल्लाया मां…! कब तक मोबाइल पर रील्स देखते रहोगे…..? मुझे भूख लगी है, खाना दो….न…। “हां बस दो मिनीट में देती हूं”।

रोहित की मां सविता फिर रिल्स देखने लगी….। रोहित ने अपने हांथ से ही खाना निकाल कर खा लिया। रोहित कक्षा नाइन्थ में पढ़ने वाला सबसे होशियार छात्र होने के साथ-साथ खेल कूद में भी आगे था। रोहित के दोस्तों की संख्या भी कम नहीं थी।

सबके साथ हंसी-मजाक मस्ती में रहता। घर पर भी सबके लाड़ का बेटा था। क्योंकि, एक ही बेटा होने के नाते घर के सभी सदस्यों का आंख तारा था। रोहित जब भी घर होता उसकी मां मोबाइल पर ही लगी रहती..।

कई बार वह अपने स्कूल के दोस्तों की बात मां को बताता.., किन्तु मां अपने मोबाइल में ही… रहती…। रोहित क्या बोलना चाहता हैं ? सविता को इससे कोई मतलब नहीं…। उसकी आंखे तो सिर्फ मोबाइल में ही टिकी रहती थी। धीरे धीरे अब सविता का एडिक्शन और बढ़ गया। वह भी अब रील्स बनाने लगी….,।

रोहित सोशल साइड का ज्यादा शौकीन नहीं था। हां, पर कभी कभी मोबाइल स्वेप कर देखता .,। फिर बंद करके अपने खेल या पढ़ाई में लग जाता था। एक दिन ऐसे ही मोबाइल स्वेप करते करते उसकी मां का वीडियो देख हंसने लगा..। रोहित हंसते हुए बोला….., मां अब तुम भी वीडियो बनाने लगी हो, मां मुस्कुराते हुए बोली कैसी लगी…?

रोहित बोला-“मां सब समय बर्बाद करने वाली चीज है…,” तुम इतनी अच्छी सिलाई करती हो…, वह करो…?, उसमें तुम को पैसा भी अच्छा मिलता है। मां तुरंत बोली-“हां रोहित, पर पैसे तो इसमें भी मिलते हैं।

पर मां आप ऐसे, कुछ भी तरीके से बनाने की जगह सिलाई के रील्स बनाओ कुछ लोग सीखेगें भी, मां बोली अरे बेटा! उसमे इतना नाम नहीं कुछ लोग ही देखते हैं। लेकिन जो मैने रील्स बनाई अधिकतर लोग देख रहे हैं। रोहित चुप रह गया। दूसरे कमरे में जाकर पढ़ाई करने बैठ गया।

रोहित जब भी घर आता उसकी मां बंद कमरे में रील्स बनाती रहती। वह कई आवाजें देता, मां..मां.. दरवाजा खोलो…। थोड़ी देर बाद मां दरवाजा खोल कर गुस्से में बोली क्यों चिल्ला रहा हैं। “पता है, न मैं रील्स बना रही हूं”।

रोहित छोटा सा मुंह बना कर खुद ही अपने लिए खाना निकाल कर खा लिया…। कुछ महीनों तक ऐसा ही चलता रहा। रोहित भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया। मां भी अपनी सिलाई छोड़ रील्स बनाने में व्यस्त रहने लगी।

रोहित के पिता का तो सोशल साइड से तो दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं था। वह तो बस अपनी छोटी सी नोकरी में ही व्यस्त रहता। रोहित के कई दोस्त मोबाइल के शौकीन थे..। वह कई बार रोहित को भी रील्स देखने के लिए फोर्स करते किंतु रोहित देखने से मना कर देता..,।

दोस्तों की जिद्द से कभी कभी देख भी लेता था। रोहित के एग्जाम भी नजदीक आ गए थे..। वह अपनी पढ़ाई को लेकर ज्यादा सिरियस रहता। अब वह नियमित स्कूल जाता। पढ़ाई करता। रोज की तरह आज भी वह स्कूल जा रहा था, तभी रास्ते में कुछ लोग उसे हंसते हुए देख बोले, देख इसके घर ही सेक्सी बम्ब है। वह कुछ भी समझ न सका।

स्कूल पहुंचा तो उसके स्कूल के दोस्त भी उसको देख हंसने लगे..। रोहित को आज सबका व्यवहार अलग लग रहा था। लोग उसे देख बातें करते हुए हंस रहे थे। एक बारहवी क्लास के बच्चे ने तो रोहित को बोल भी दिया। क्या यार तेरे घर पर तो सेक्सी बम्ब रखा हुआ है, “वाह क्या सेक्सी डांस किया तेरी मां ने…!

अंग-अंग दिखा दिया..बोल कर हंसने लगा। यह सुन रोहित को गुस्सा आ गया, और वह उस लड़के से लड़ गया! एक दूसरे खूब मारा, किंतु रोहित छोटा होने के कारण ज्यादा घायल हो गया। टिचर्स ने बीच बचाओ कराया।

रोहित का दोस्त बोला देख भाई तेरी मम्मी को ऐसी रील नहीं बनानी चाहिए थी। सब लोग गंदी-गंदी बातें कर रहे हैं। यह सुन रोहित को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसके दोस्त ने रील्स दिखाई, वह शर्म से नजरे झूका लेता..।

उसकी आंखों में गुस्सा अलग ही दिख रहा था। जल्दी-जल्दी वह घर गया। रोहित ने जोर जोर से आवाज लगाई मां…..मां….कहां हो…, मां बाहर आई और बोली देख कितने लाइकस् हो गए मेरी रील्स पर…।

रोहित बोला मां इतनी गंदी रील्स बनाते हुए शर्म नहीं आई तुम्हें। मां बोली क्यों क्या हुआ? ऐसा क्यों बोल रहा हैं? सब लोग कैसी कैसी गंदी बातें बना रहे हैं। मां बोली, मुझे क्या करना किसी से! मां तुमको कुछ नहीं करना, पर लड़के मुझे भी गंदी-गंदी बातें बोल रहे हैं।

मां-बेटे में बहुत बहस हुई, किंतु सविता लाइक्स, कमेंट्स और फॉलोवर्स में इतनी डूब गई थी कि उसको रोहित की बातें बेफिजूल ही लग रही थी। आखिर में, रोहित रोते-रोते खुद को कमरे में बंद कर लेता।

विता फिर अपनी रील्स में लग जाती है, काफ़ी समय होने के बाद वह रोहित के कमरे का दरवाजा बजा कर आवाज देती है किंतु अंदर से कोई आवाज नहीं आती, आखिरकार वह खिड़की से अंदर देखती तो उसके होश उड़ जाते…., पंखे पर…..!!!!

नोट: यह कहानी पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित है,
वैदेही कोठारी, स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका
48 राजस्व कॉलोनी रतलाम (मध्य प्रदेश)
Mail-vaidehikothari09@gmail.com

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