वाशिंगटन,देशज टाइम्स – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को उनके व्यापारिक फैसलों पर यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड से बड़ा झटका लगा है। तीन जजों के पैनल ने उनके द्वारा कुछ देशों पर लगाए गए अत्यधिक टैरिफ (Tariff) को अवैध करार देते हुए उस पर रोक लगा दी है।
कानूनी अतिक्रमण बताया कोर्ट ने
कोर्ट ने कहा कि ट्रंप ने यह टैरिफ संघीय कानूनों का उल्लंघन करते हुए जारी किया। फैसले में स्पष्ट किया गया कि राष्ट्रपति के पास इस तरह के व्यापक अधिकार नहीं हैं, और उन्होंने 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपात आर्थिक शक्ति अधिनियम का गलत हवाला दिया।
किन देशों पर टैरिफ पर रोक?
चीन,मैक्सिको, कनाडा, इन देशों पर लगाए गए अत्यधिक टैरिफ अब फिलहाल प्रभाव में नहीं रहेंगे।
अदालत की मुख्य टिप्पणियां:
कांग्रेस से पारित कानून के तहत राष्ट्रपति को असीमित टैरिफ लगाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता।यह राष्ट्रीय आपातकालीन प्रावधान की गलत व्याख्या है। गैर-आपातकालीन स्थितियों में ऐसे टैरिफ लागू नहीं किए जा सकते।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कोर्ट के फैसले पर असहमति जताई। उन्होंने कहा:“राष्ट्रीय आपातकाल को कैसे परिभाषित किया जाए, यह तय करना जजों का काम नहीं है।”“अमेरिका का व्यापार घाटा ही राष्ट्रीय आपात स्थिति का कारण बना।”“टैरिफ ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के एजेंडे का अहम हिस्सा हैं।”
क्या होगा आगे?
ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि वह इस फैसले को संघीय सर्किट अपील न्यायालय में चुनौती देगा। अगर उच्च अदालत में भी यह फैसला बरकरार रहा, तो ट्रंप की नीतिगत रणनीति को बड़ा झटका लगेगा।
पृष्ठभूमि: ट्रंप और टैरिफ नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत कई देशों पर भारी टैरिफ लगाए थे। इसका मकसद था, घरेलू उद्योगों की सुरक्षा करना। व्यापार घाटे में कमी लाना। रोजगार सृजन करना। लेकिन यह नीति अंतरराष्ट्रीय व्यापार संगठनों और अमेरिकी उद्योगों में भी विवाद का कारण बनी।
यह फैसला न केवल ट्रंप की नीतियों के लिए एक बड़ा झटका
यह फैसला न केवल ट्रंप की नीतियों के लिए एक बड़ा झटका है, बल्कि आने वाले चुनावी माहौल में उनके एजेंडे पर भी प्रभाव डाल सकता है। कोर्ट का यह निर्णय राष्ट्रपति की शक्तियों की सीमा को फिर से परिभाषित करता है।