सहरसा। ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान (Braj Kishore Jyotish Sansthan) के संस्थापक, ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा जी के अनुसार, देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi) का व्रत कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि (Kartik month’s Shukla Paksha Ekadashi Tithi) को रखा जाता है।
इसे हरि प्रबोधिनी एकादशी (Hari Prabodhini Ekadashi) और देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जो इस बार 12 नवंबर गुरुवार को पड़ेगा और सभी मांगलिक कार्य (Auspicious events) 18 नवंबर से शुरू होंगे। देवउठनी एकादशी के दिन चतुर्मास (Chaturmas) का समापन होता है। साथ ही विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश (Marriage, Mundan, Housewarming) जैसे मांगलिक कार्यों पर लगी रोक भी हट जाती है।
देवउठनी एकादशी का महत्व (Importance of Dev Uthani Ekadashi)
इस दिन व्रत (Fasting) रखकर भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की पूजा करते हैं और सभी मांगलिक कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। देवउठनी एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र एकादशी (Most important and holy Ekadashi) में से एक माना गया है। इसे प्रबोधिनी एकादशी (Prabodhini Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। इस शुभ दिन (Auspicious day) पर साधक व्रत रखते हैं और बड़ी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।
कार्तिक माह का धार्मिक महत्व (Religious significance of Kartik month)
यह एकादशी कार्तिक माह (Kartik month) में आती है, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरा महीना भगवान विष्णु को समर्पित है। इसी दिन, भगवान विष्णु चार महीने के बाद जागते हैं (wake up after four months), जिसे चतुर्मास (Chaturmas) के रूप में जाना जाता है। साथ ही, इस दिन से ही सभी मांगलिक कार्यों की शुरुआत (Start of all auspicious works) हो जाती है।
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